मुंबई धमाकों के साज़िशी पाकिस्तान में रुपोश

रोम, ०७ नवंबर (पीटीआई) 1993 के मुंबई बम धमाकों के पसेपर्दा शख़्स दाऊद इब्राहीम अब भी हिंदूस्तान की पहुंच से बाहर हैं। हिंदूस्तान ने आज कहा कि सिलसिला वार बम धमाकों के नफ़रत अंगेज़ जुर्म की साज़िश तैयार करने वाले पाकिस्तान की महफ़ूज़ पनाह गाहों में रुपोश ( हैं।

पाकिस्तान दाऊद के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इसके बावजूद कि उसे क़ाबिल-ए-एतिमाद सुबोद फ़राहम किए जा चुके हैं। इंटरपोल की जनरल असेंबली से ख़िताब करते हुए मर्कज़ी वज़ीर दाख़िला सुशील कुमार शिंडे ने कहा कि हिंदूस्तान को मुसलसल आला सतही दहशतगर्द खतरों का कई महाज़ों पर सामना है।

खासतौर पर उसे सरहद पार से दहशतगर्दी के चैलेंज का सामना करना पड़ रहा है । उन्होंने कहा कि जुनूबी एशिया मूसिर दिफ़ाई हथियार की हैसियत से मुसलसल उभरता जा रहा है। मर्कज़ी वज़ीर दाख़िला ने कहा कि पड़ोसी मुल्क के साथ बाक़ायदा मुज़ाकरात ( बातचीत) और उसे क़ाबिल-ए-एतिमाद सबूत फ़राहम करने के बावजूद एक इंतिहाई नफ़रत अंगेज़ दहशतगर्द कार्रवाई के साज़िशियों में से एक के ख़िलाफ़ फ़राहम करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।

दहशतगर्द ख़ौफ़ फैलाकर मामूल के तर्ज़-ए-ज़िदंगी में ख़लल अंदाज़ी की कोशिश कर चुके हैं। ख़ुशक़िस्मती से हिंदूस्तानी समाज बार बार अपनी क़ुव्वत-ए-बरदाश्त का सबूत दे चुका है और दहशतगर्दों की कार्यवाईयों के ज़ेर असर नहीं आया। बैन उल-अक़वामी तआवुन की सख़्ती से ताईद करते हुए ताकि इस लानत को कुचलने के सिलसिला में वाज़िह (स्पष्ट/सही) नताइज हासिल किए जा सके।

सुशील कुमार शिंडे ने कहा कि हिंदूस्तान दहशतगर्दी और इंतिहापसंदी की तमाम इशकाल ( मुश्किलों/ कठिनाइयों) और इज़हार के तरीकों के ख़िलाफ़ जंग करने का पाबंद है। इसलिए कोई वजह नहीं है कि दहशतगर्दी या तशद्दुद को जायज़ क़रार देने का कोई तसव्वुर ( कल्पना) पेश किया जा सके। मर्कज़ी वज़ीर दाख़िला ने कहा कि 1993 के 26 नवंबर को मुंबई हमले और अमेरीका में 9 सितंबर के हमले बेन रियासती नवीत के हैं जिस में बैन उल-अक़वामी सतह की मंसूबा बंदी (योजना बनाना) की गई थी।

इन तमाम हमलों से बाहमी तआवुन और हम आहंगी ( संप्रादायिक दंगो) की अहमियत उजागर होती है। तमाम ममालिक के सुराग़ रसानी और तहक़ीक़ाती महकमों ( विभागों) को बाहम तआवुन करना और हम आहंगी के साथ काम करना चाहीए।

शिंडे ने कहा कि दहशतगर्दी अपने तरीकों और मवाद (सामग्री) के ज़रीया जमहूरी और पुरअमन ज़राए रवाबित को मुस्तर्द करती है। तकसेरेत और कसीर तहज़ीबी निज़ाम पर हमले करती है। अब ये फ़राख़दिल , जमहूरी और मुतनव्वे ( अजीबो गरीब) मुआशरों जैसे हिंदूस्तान पर मुनहसिर (निर्भर) है कि वो दहशतगर्दी और दहशतगर्द ग्रुप्स से लाहक़ चैलेंजों के ख़िलाफ़ मूसिर ( शक्तिशाली) कार्रवाई करे और उन्हें शिकस्त दे ।

शिंडे ने कहा कि 26 नवंबर के बाद हिंदूस्तान में बढ़ती हुई असरी दहशतगर्दी के खतरों का सामना करने की तैयारीयों की सतह में इज़ाफ़ा कर दिया है। इस ने दहशतगर्दों के ख़तरे यह हमले पर फैसला कुन अंदाज़ में जवाबी कार्रवाई की तैयारी की रफ़्तार भी तेज़ कर दी है।

मर्कज़ी वज़ीर ए दाख़िला ने कहा कि बेश्तर ( ज़्यादातर) बड़े दहशतगर्द हमले तसव्वुराती स्टेज से किए गए है। उन पर अमल आवरी मुख़्तलिफ़ ममालिक ( देशों) में उनके नुक़ूश क़दम पर की गई है। तहक़ीक़ाती महकमे और दायरा कार के मसलों/मसाइल ( समस्याओं) का सामना कर रहे जो नवीत के एतबार से बैन उल-अक़वामी और बेन ममालिक किस्म के हैं।

उन्होंने कहा कि जब वो कारआमद सबूत जमा करते हैं और नुक्तों को मिलाते हैं तो ये कोशिश अपने मंतक़ी ( आखिरी) अंजाम तक नहीं पहुंच सकती यह फिर इस में ग़ैरमामूली ताख़ीर ( देरी) होती, इसकी वजह ये है कि प्रोटोकोल की रुकावटें सामने आती है जिन पर अमल तआवुन के बगैर नामुमकिन है।

शिंडे ने कहा कि वो तजवीज़ पेश करना चाहते हैं कि इंटरपोल वाजिबी तौर पर बाअज़ निज़ामों का जायज़ा ले ताकि रस्मी तहकीकात दरख़ास्त से मुताल्लिक़ की जाएं जैसे कि तफ़सीलात फ़राहम करना पते ज़ाहिर करना तेज़ रफ़्तार मुक़द्दमे और सज़ाएं देना उन कंपनीज़ के ख़िलाफ़ कार्रवाई करना जो इसी मालूमात पोशीदा रखते हों, शिंडे ने इंटरपोल से अपील की कि वो दहशतगर्दी से मुताल्लिक़ मुक़द्दमात की तहकीकात और सज़ा दिलवाने में मदद करे। उन्होंने कहा कि ये भी बेहतर होगा अगर इंटरपोल दस्तयाब सबूत जमा करे और अपने रुकन ममालिक के फ़ायदा के लिए क़वानीन का तीन ( पालन) करे जिस पर मुख़्तलिफ़ ममालिक में अमल आवरी लाज़िम हो।

क़वाइद ( कानून /Rules) मुक़र्रर किए जाएं ताकि मुजरिमों की गिरफ़्तारी, तलाश , ज़बती, इख़राज , हवालगी, निगरानी , माद्दी शहादतें जमा करना , जायज़ा लेना और गवाहों के ब्यानात दर्ज करना मुश्तबा अफ़राद से मुख़्तलिफ़ महकमों ( अलग अलग विभगों) की जानिब से जर्राह करना मुम्किन हो सके।

इस अमल में मुख़्तलिफ़ महकमों को शामिल किया जाना चाहीए। उन्होंने दहशतगर्द ग्रुप्स की मख़दूश (धोखेबाज) कंपनियों के ज़रीया स्टाक मार्केट में सरमायाकारी ( निवेश) पर अंदेशा ज़ाहिर करते हुए कहा कि हिंदूस्तान इससे निपटने के लिए बैन उल-अक़वामी तआवुन का ख़ाहां है क्योंकि इस तरह ख़ून की प्यासी दहशतगर्दी को सरमाया (राशी/ धन) फ़राहम किया जा रहा है।

इस बात के ठोस सबूत मिल चुके हैं जिन से ज़ाहिर होता है कि दहशतगर्द तनज़ीमें ( संघटनो) मख़दूश (धोखेबाज) कंपनियों के ज़रीया स्टाक मार्केट में सरमायाकारी ( निवेश) कर रही हैं। जाली कारोबार क़ायम कर रही हैं और गैरकानूनी तौर पर रक़ूमात मुंतक़िल ( Transfer) कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यहां भी इंटरपोल पर ठोस किरदार अदा करना चाहीए।