तृप्ति देसाई को हैंडल करना मुंबई पुलिस के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था। जॉइंट पुलिस कमिश्नर देवेन भारती (लॉ ऐंड ऑर्डर) ने कहा,’हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि तृप्ति देसाई वापस मुंबई शहर के दायरे में न आएं। इसलिए हमने उनके साथ दो महिला पुलिस कॉन्स्टेबलों को उनसे साथ पुणे तक भेजा।’
गुरुवार को 12 घंटों तक तृ्प्ति ने पुलिस की नाम में दम करके रखा था। जबसे उन्होंने हाजी अली दरगाह में जाकर प्रार्थना करने का ऐलान किया था, तब से हालात को संभालने के लिए दरगाह को बैरिकेड्स से घेर दिया गया था, इसके साथ ही बड़ी संख्या में सुरक्षा बल भी तैनात किए गए थे। हालांकि तृप्ति के समर्थकों को शाम चार बजे से पांच बजे तक दरगाह के बाहर विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति मिल गई थी। लेकिन तृप्ति शाम छह बजे के करीब वहां पहुंची। वह अपनी कार से भी नहीं उतर पाईं थीं कि उन्हें वहां से हटा दिया गया क्योंकि भीड़ ने हिंसक होने की धमकी दे दी थी। लोग उनकी कार पर मुक्के मार रहे थे और उनके खिलाफ नारे लगा रहे थे।
वहां से हटाए जाने के कुछ घंटों बाद तृ्प्ति फिर वापस आकर दरगाह के सामने समुद्र के पास बैठ गईं थी। पहले वह मजार में घुसने की जिद कर रही थीं लेकिन जब वह वापस आईं तो उन्होंने कहा कि वह दरगाह के अंदर प्रोटेस्ट करना चाहती हैं। आखिरकार उन्होंने कहा कि वह सिर्फ प्रार्थना करना चाहती हैं और आगे आने वाले दिनों में अपना विरोध प्रदर्शन तेज करेंगी। देवेन भारती के मुताबिक,’वह सिर्फ तमाशा खड़ा कर रही थीं। हमने उनसे कहा था कि अगर वह शांतिपूर्वक अंदर जाना चाहती हैं तो हम उन्हें सुरक्षा देने के लिए तैयार हैं। लेकिन जैसे ही रात के 10 बजे उन्होंने कहना शुरु कर दिया कि पुलिस ने उन्हें दरगाह में जाने से रोका है और वह मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन करेंगी।’
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