मुंबई बम धमाके मुक़द्दमा इंडियन मुजाहिदीन के मुआविन बानी पर जरह

मुंबई। 1 एप्रैल‌ (पी टी आई)। महाराष्ट्रा इंसिदाद मुनज़्ज़म जराइम क़ानून की एक ख़ुसूसी अदालत ने जुलाई 2006-ए-में मज़ाफ़ाती ट्रेन धमाकों के मुल्ज़िम को इजाज़त दी कि वो इंडियन मुजाहिदीन के मुआविन बानी सादिक़ इसरार शेख पर और सफ़ाई के दीगर दो गवाहों पर जरह करे।

इस ने इन्सिदाद-ए-दहशत गर्दी उसको एड (ए टी उस) की मुख़ालिफ़त को नज़रअंदाज करदिया। वकील सफ़ाई ने अदालत में एक दरख़ास्त पेश करते हुए सादिक़, आरिफ़ बदर उद्दीन और अंसार अहमद को तलब करने की ख़ाहिश की थी। ये तमाम मुबय्यना तौर पर 2008में पूरे हिंदूस्तान के मुख़्तलिफ़ बम धमाकों में मुलव्विस थे।

उन्हें ट्रेन बम धमाके मुक़द्दमे में सफ़ाई के गवाहों की हैसियत से तलब करने की दरख़ास्त की गई है। ए टी एस ने उनकी दरख़ास्त की मुख़ालिफ़त की है। मज़ाफ़ाती इलाक़ों की ट्रेनों के फ़रस्ट क्लास के डिब्बों में रखे हुए 7 आर डी एक्स बमों के 11 जुलाई 2006को धमाकों से 188 अफ़राद हलाक और दीगर 817 ज़ख़मी होगए थे। 2008 में मुख़्तलिफ़ धमाकों के सिलसिले में गिरफ़्तार शूदा चंद मुल्ज़िमीन ने एतराफ़ किया था कि वो ट्रेन बम धमाकों में भी मुलव्विस थे।

शोबा जराइम ने 24 सितंबर 2008 को मज़ाफ़ाती इलाक़ा कुरला से शेख को मुबय्यना तौर पर इस के 2008 के बम धमाकों में मुलव्विस होने की बिना पर गिरफ़्तार किया था और बादअज़ां उसे ए टी एस की तहवील में दे दिया था जिस ने इस से ट्रेन बम धमाकों में मुबय्यना किरदार के बारे में इस से तफ़तीश की थी।

ताहम मकोका अदालत ने 11 मई 2009 को शेख के ख़िलाफ़ मुक़द्दमा ख़ारिज करदिया जब कि ए टी एस ने डिस्चार्ज की दरख़ास्त दाख़िल करते हुए कहा कि उन्हें शेख के ट्रेन बम धमाकों में मुलव्विस होने का कोई सबूत नहीं मिला। 2006 के बम धमाके ख़ार रोड। शांता क्रूज़, बांद्रा।ख़ार रोड, जोगेश़्वरी।

माहिम जंक्शन, मेरा रोड। भयंदर, माटोनगा। माहिम जंक्शन और बोरीवली के पास हुए थे। ए टी एस ने कमाल अहमद अंसारी, डाक्टर तनवीर अहमद अंसारी, मुहम्मद फैसल शेख, एहतेशाम सिद्दीक़ी, मुहम्मद माजिद शाह, शेख आलम शेख, मुहम्मद साजिद अंसारी, अबदुलवाहिद शेख, मुज़म्मिल शेख, सुहेल महमूद शेख, ज़मीर अहमद शेख, हमीद हुसैन ख़ान, आसिफ़ ख़ान को गिरफ़्तार किया और दीगर 14 अफ़राद को बिशमोल आज़म मफ़रूर क़रार दिया है। गवाहों से जरह का दुबारा आग़ाज़ सुप्रीम कोर्ट की जानिब से हुक्म अलतवा जारी करने के दो साल बाद होरहा है।