मुंबई ब्लास्ट के मुजरिम याकूब मेमन की फांसी पर रोक बढ़ाई

सुप्रीम कोर्ट ने 1993 के मुंबई बम धमाकों के मुजरिम याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन की फांसी पर फिलहाल रोक बढ़ा दी है| इसके साथ ही कोर्ट ने याकूब मेमन की खुली अदालत में सुनवाई की मांग वाली अर्जी पर सीबीआई को नोटिस जारी किया है|

जस्टिस एचएल दत्तू की सदारत वाली बेंच ने जुमे के रोज़ मेमन के वकील की दलीलें सुनने के बाद यह हुक्म दिया| मेमन ने अपनी नयी अर्जी में सुप्रीम कोर्ट के गुजश्ता 2 सितंबर के फैसले को बुनियाद बनाया है, जिसमें कोर्ट ने फांसी की सजा पाए कैदियों की नज़रे शानी की दरखास्त पर खुली अदालत में सुनवाई किए जाने की इंतेज़ाम किया है|

उस फैसले में कोर्ट ने यह भी कहा था कि जिन लोगों की नज़रे शानी की दरखास्त चैम्बर में खारिज हो गई है और उन्हें अभी फांसी नहीं दी गई है वे फैसले के एक महीने के अंदर अर्जी दाखिल कर खुली अदालत में सुनवाई की मांग कर सकते हैं|

मेमन ने नज़र ए शानी की दरखास्त के बाद क्यूरेटिव दरखास्त दाखिल नहीं किये थें इसलिए उसे 2 सितंबर के हुक्मनामे का फायदा मिलेगा|सुप्रीम कोर्ट के फैसले का फायदा मांगने वाला याकूब मेमन दूसरा मुजरिम है|इससे पहले निठारी कांड का मुजरिम सुरेन्द्र कोली दरखास्त दाखिल कर चुका है| सुप्रीम कोर्ट ने 29 अक्टूबर तक उसकी फांसी पर रोक लगा दी है|

कोली को फांसी पर चढ़ने के कुछ घंटे पहले ही इस फैसले की बुनियाद पर नई ज़िंदगी मिली थी| मालूम हो कि मेमन को मुंबई में 1993 में हुई सीरियल धमाकों की साजिश रचने के जुर्म में फांसी की सजा सुनाई गई है|सुप्रीम कोर्ट पहले ही उसकी फांसी पर मुहर लगा चुकी है|फांसी से बचने का याकूब मेमन का यह तीसरी कोशिश है|