मुंबई : मुंबई में भारी बारिश के कारण इंश्योरेंस बिजनस को 500 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। हालांकि, इंश्योरेंस क्लेम 2005 में मुंबई में आई बाढ़ के मुकाबले कम है। उस वक्त इंडस्ट्री को 3,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा था। इस बार शहर के लोगों ने भारी बारिश के प्रकोप से बचने में सावधानी बरती और इंश्योरेंस कंपनियों ने बाढ़ के कारण गाड़ियों से जुड़े नुकसान को कम करने के उपायों के बारे में मेसेज भेजे। मोटर, हेल्थ और इंडस्ट्रीज से जुड़े सेक्टर में सबसे ज्यादा क्लेम होने की आशंका है.
मुंबई में 26 जुलाई 2005 को आई बाढ़ से बीमा कंपनियों को करीब 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इन दावों में सबसे ज्यादा दावे वाहन बीमा के थे। बहुत से वाहन सड़कों पर कई फिट पानी के भीतर समाए हुए थे। इससे सरकारी क्षेत्र की बीमा कंपनियां सबसे ज्यादा प्रभावित थी। यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस को नवंबर के मध्य तक ही 110 करोड़ रुपये के दावों की सूचना मिल चुकी थीं। मुंबई में नवंबर के मध्य में एक सप्ताह से अधिक समय तक भारी बारिश हुई थी।
मॉनसून सीजन के दौरान आमतौर पर ब्रेकडाउन, इंजन डैमेज, बारिश के पानी में गाड़ी के डूबने से हुआ अन्य खराबी के कारण क्लेम फाइल किए जाते हैं। इंश्योरेंस कंपनियों का कहना है कि पानी के कारण खराब इंजन के मरम्मत या इसे बदलने की लागत 75,000 से 5 लाख रुपये के बीच आती है, जबकि हाई ऐंड कारों में यह आंकड़ा 10-15 लाख रुपये हो जाता है।
फ्यूचर जेनराली के एक बयान के मुताबिक, कंपनी ने सड़कों पर कारों की मदद के लिए अपनी टीम तैयार करने से लेकर टोइंग फैसिलिटी तक को ऐक्टिव कर दिया है। कंपनी की कोशिश है कि इन सब चीजों के लिए दस्तावेजों की जरूरत कम से कम हो। फ्यूचर जेनराली ने कहा है कि क्लेम के तेजी से सेटलमेंट के लिए इससे जुड़ी शर्तों को आसान किया जाए। पिछले 4-5 साल में देश में आपदाओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। चेन्नई से लेकर उत्तराखंड तक में भयंकर बाढ़ के मामले देखने को मिले हैं। चेन्नई में आई बाढ़ से इंश्योरेंस सेक्टर को 5,000 करोड़ तक का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है।