मुंबई में हंगरी के सिफ़ारतख़ाने का इफ़्तिताह

दौरे पर आए वज़ीर-ए-आज़म हंगरी विक्टर ओरबन ने आज एक अहम बयान देते हुए कहा कि उनका मुल्क हिंदुइस्तान के साथ दो रुख़ी ताल्लुक़ात को मजबूत‌ करने का ख़ाहिश मंद‌ है।

ख़ुसूसी तौर पर तिजारती शोबा में वो चाहते हैं कि हिंदुस्तान की जानिब से सरमाया कारी की जाये। सनअती मजलिस CII की एक बिज़नस समेट से ख़िताब करते हुए उन्होंने कहा कि हम हिंदुस्तान से दो रुख़ी ताल्लुक़ात को मजबूत‌ करना चाहते हैं और इस केलिए मुंबई में हंगरी का सिफ़ारतख़ाना खोलना बेहद कारआमद साबित होगा।

उन्होंने सिफ़ारतख़ाने के दफ़्तर का इफ़्तिताह(उदघाटन) भी किया। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान केलिए हंगरी में आई टी, बायो टैक्नोलोजी, ऑटोमोबाइल्स, तामीरात, तवानाई, आब और वेस्ट मनिजमेंट के शोबों में सरमाया कारी के बड़े मौक़े मौजूद हैं। हुकूमत के आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक़ हंगरी से दो रुख़ी तिजारत का तख्मीना 2012 में 642 मिलियन अमेरिकी डॉलर्स था।

CII ने इस मौके पर उम्मीद‌ ज़ाहिर की कि जल्द ही हंगरी के साथ दो रुख़ी तिजारत का तख्मीना एक बिलियन अमेरिकी डॉलर्स तक पहुंच जाएगा। यहां इस बात का तज़किरा भी ज़रूरी है कि हंगरगा में कम-ओ-बेश 9000 हिंदुस्तानी बरसर-ए-कार हैं और टाटा कंसलटेंसी और सी जी अलीकर्टक जैसी कंपनियों ने भी यहां अपनी मौजूदगी का एहसास दिलाया है।