मुंबई हमले, गवाहों की जिरह पर हिन्द‍ पाक के दरमयान तनाज़ा

मुंबई हमले 26/11 के कलीदी ऐनी शाहिदीन के ब्यानात की पाकिस्तानी अदालती कमीशन की जानिब से क़लमबंदी एक तनाज़ा का शिकार हो गई जब पाकिस्तानी ज़िम्मेदारों ने गवाहों पर जिरह करने के लिए इसरार किया है जबकि हिंदूस्तानी ज़िम्मेदारों ने इसकी सख़्त मुख़ालिफ़त की है।

इस वाक़्या की ख़बर रखने वाले क़रीबी ज़राए के मुताबिक़ मुंबई हमले में वाहिद ज़िंदा बच जाने वाले पाकिस्तानी बंदूक़ बर्दार अजमल क़स्साब का ब्यान कलमबंद करने वाले मजिस्ट्रेट के बिशमोल दीगर दो कलीदी गवाहों पर जिरह करने के लिए पाकिस्तानीयों की जानिब से सख़्त इसरार किया जा रहा है।

इस मजिस्ट्रेट ने मुबय्यना तौर पर अजमल अमीर क़स्साब का इक़बाली ब्यान भी कलमबंद किया था। पाकिस्तान के इस मुतालिबा पर एतराज़ करते हुए ख़ुसूसी सरकारी वकील उज्जवल निकम ने कहा कि हकूमत-ए-पाकिस्तान ने नवंबर 2010 में सिर्फ ब्यानात रिकार्ड करने से इत्तिफ़ाक़ किया था लेकिन अब गवाहों पर जिरह करने की मांग की जा रही है जो नामुनासिब है।