मुंबई हमलों में इंसाफ होना बाकी: हिलेरी क्लिंटन

वाशिंगटन, 30 जनवरी: (पी टी आई) अमेरीका ने आज कहा कि 26/11 के मरतकबेन को कैफ़र किरदार तक पहुंचाना हनूज़ नामुकम्मल काम है जो उसकी तरजीहात में अव्वलीन है, जबकि चंद रोज़ क़बल ही पाकिस्तानी अमेरीकी लश्कर ए तैबा दहशतगर्द डेविड हेडली को शिकागो की एक अदालत ने 35 साल के लिए जेल भेज दिया, जो ऐसी सज़ा है जिस ने हिंदूस्तान को मायूस किया है।

कमतर सज़ा की मुदाफ़अत करते हुए अमेरीकी वज़ीर ए ख़ारेजा हिलारी क्लिन्टन ने कहा कि हेडली ने काबिल लिहाज़ मालूमात का अफ़शा करते हुए हिंदूस्तान और अमेरीका की मुस्तक़बिल में मुंबई जैसे हमलों को रोकने में मदद की। ममिं समझती हूँ ये नामुकम्मल काम है जिससे हम किसी भी तरह पहलू तही करने वाले नहीं है।

मैं ज़िम्मेदारी से सबकदोश हो रही हूँ लेकिन मैं आपको और हिंदूस्तानी अवाम को यक़ीन दिला सकती हूँ कि ये बदस्तूर हमारी आला तरीन तरजीहात में से है हिलारी ने ये बात कही जब उनसे पूछा गया कि आया वो इस कामयाबी पर मुतमईन है जो उन्होंने अपनी मीआद के लिए 26/11 के मरतकबेन को कैफ़र किरदार तक पहुंचाने के लिए हासिल की है।

65 साला हिलारी जो यक्म फरवरी को स्टेट डिपार्टमेंट से सबकदोश होने वाली हैं, आलमी नाज़रीन के साथ सेटेलाईट राबिता के ज़रीया विदाई गुफ़्तगु कर रही थीं। काफ़ी मुफीद मालूमात हासिल की गई हैं। और मैं समझती हूँ कि ये सज़ा दोनों पहलोओं की नुमाइंदगी करती है कि वो (हेडली) अपने रोल के लिए पूरी तरह मुस्तहिक़ है बल्कि इस रोल को तस्लीम भी किया गया है कि इसने हिंदूस्तानी और अमेरीकी कोशिशों में अदा करते हुए निभाया है कि मुस्तक़बिल में मुंबई में पेश आए होलनाक हमले का इआदा ना होने पाए उन्होंने 26/11 के मरतकबेन को इंसाफ़ के कटघरे में लाने से मुताल्लिक़ एक हिंदूस्तानी सहाफ़ी के सवाल के जवाब में ये बात कही।

हेडली के लिए 2008 के मुंबई हमले की मंसूबा बंदी में इसके रोल पर दी गई सज़ा ने हिंदूस्तान को बड़ी हद तक मायूस किया है।हेडली के अमेरीकी हुकूमत के साथ सज़ा में नरमी मुआहिदा के तहत उसे उम्र कैद की सज़ा दी जा सकती थी लेकिन प्रासीक्यूटर्स ने सिर्फ़ 35 साल की आज़म तरीन सज़ा चाही और मामूली इम्कान बाक़ी रखा कि 52 साला शख़्स जेल से आज़ाद भी हो सकता है।

हिंदूस्तान ने हेडली की हवालगी पर ज़ोर दिया था लेकिन उसे भी ख़ारिज अज़ इमकान क़रार दिया गया जबकि लश्कर ए तैबा कारिंदे ने अमेरीकी एजेंसियों के साथ तआवुन इत्तिफ़ाक़ कर लिया। हिलारी ने कहा कि हेडली को हिंदूस्तानी के साथ साथ अमेरीकी हुक्काम की तरफ़ से ज़बरदस्त तहकीकात और तफ़तीश से गुज़रना पड़ा।

उन्होंने पाकिस्तान को भी याद दहानी कराई कि उसकी सरज़मीन से सरगर्म अस्करीयत पसंदों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि हम कई निहायत ख़तरनाक दहशतगरदों को पकड़ने और उनका सफ़ाया करने में कामयाब हुए जिनकी पाकिस्तान के अंदरून महफ़ूज़ पनाह हैं।

हम बदस्तूर पाकिस्तानी हुकूमत पर ज़ोर देते आए हैं कि चूँकि ये दहशतगर्द पाकिस्तान के अंदरून हैं इसलिए पाकिस्तान के इस्तिहकाम को सबसे ज़्यादा ख़तरा दरपेश है और उन्हें इससे निपटने की ज़रूरत है क्योंकि इसके हिंदूस्तान , अफ़्ग़ानिस्तान , अमेरीका और दीगर जगहों पर भी असरात मुरत्तिब हो रहे हैं।

उन्होंने हिंदूस्तानी और पाकिस्तानी क़ियादत की जानिब से बाहमी रवाबित की बहाली में की गई कोशिशों को भी सराहा, और कहा कि इससे तआवुन का बेहतर माहौल पैदा करने में मदद मिलेगी। मेरे ख़्याल में वज़ीर-ए-आज़म (मनमोहन) सिंह और सदर (आसिफ़ अली) ज़रदारी दोनों ने हिंदूस्तान और पाकिस्तान के दरमियान रवाबिते, तिजारत और दीगर तबादलों को बेहतर बनाने के लिए जो कोशिशें की हैं इससे ज़्यादा साज़गार माहौल तैयार होता है जिसके ज़रीया संगीन मसाइल और ख़तरात से निपटा जा सकता है।

लिहाज़ा बेशक मैं पूरी तरह मुतमईन नहीं लेकिन मेरा मानना है कि दहशतगर्दी से निपटना हर मुल्क की और हर शख़्स की ज़िम्मेदारी है। हमें इख़तेलाफ़ात हो सकते हैं लेकिन वो तशद्दुद को किसी भी तरह इस्तेमाल करने या उसकी पुश्तपनाही करने का सबब नहीं बनना चाहीए।