मुअत्तल आई पी ऐस ओहदेदार संजीव भट्ट ज़मानत पर रिहा

हक़ की फ़तह , मेरे हौसले मज़ीद बुलंद होगए, 2002 फ़सादात के मुतास्सिरीन को इन्साफ़ रसानी अहम मक़सद अहमदाबाद। 18 अक्तूबर (पी टी आई) मुअत्तल आई पी ऐस ओहदेदार संजीव भट्ट की मुक़ामी अदालत ने आज ज़मानत मंज़ूरी करली। इन पर गुजरात फ़सादात के दौरान नरेंद्र मोदी को माख़ूज़ करने केलिए शवाहिद में मुबय्यना तौर पर छेड़छाड़ का इल्ज़ाम है। वो गुज़श्ता 17 दिन से जेल में थे। सैशन जज वे के वयास ने इस शर्त पर संजीव भट्ट की ज़मानत मंज़ूर की कि वो तहक़ीक़ात में तआवुन करेंगे और जज भी तलब किया जाई, हाज़िर होंगे। संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ पुलिस कांस्टेबल के डी पंत की दायर करदा एफ़ आई आर के बाद 30 सितंबर को उन्हें गिरफ़्तार किया गया था। कांस्टेबल ने इल्ज़ाम आइद किया कि संजीव भट्ट ने झूटे हलफनामे पर दस्तख़त केलिए उन्हें मजबूर किया और धमकीयां दें। ये हलफ़नामा 27 फरवरी 2002-ए-को चीफ़ मिनिस्टर की जानिब से गोधरा ट्रेन आतिशज़नी वाक़ियात के बाद तलब करदा इजलास में आई पी ऐस ओहदेदारों की मौजूदगी से मुताल्लिक़ था। संजीव भट्ट ने 3 अक्तूबर को दरख़ास्त ज़मानत पेश की थी जिस की रियास्ती हुकूमत ने मुख़ालिफ़त की थी। दरख़ास्त ज़मानत पर एक हफ़्ता तवील समाअत के दौरान संजीव भट्ट के वकील आई ऐच सय्यद ने ये दलील पेश की कि इन के मुवक्किल की गिरफ़्तारी सयासी मुहर्रिकात पर मबनी है और इस का मक़सद उन्हें अपने मक़ासिद से रोकना है। इस के साथ साथ 2002 फ़िर्कावाराना फ़सादात के सिलसिले में उन के मुवक्किल ने नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ जो शवाहिद इकट्ठा किए हैं, उन्हें ख़तम करना है। आई ऐच सय्यद ने कहा कि संजीव भट्ट को जिस शिकायत की बुनियाद पर गिरफ़्तार किया गया है, वो झूटी है और रास्त सयासी कारिंदों-ओ-सीनीयर पुलिस ओहदेदारों की ईमा पर की गई है। उन्हों ने कहा कि शिकायत कनुंदा के डी पंत ने संजीव भट्ट पर ये इल्ज़ाम आइद किया है कि उन्हों ने ना सिर्फ धमकीयां दें बल्कि झूटे हलफनामों पर दस्तख़त भी करवाए। इस से साफ़ ज़ाहिर होता है कि वो रियास्ती हुकूमत के सयासी कारिंदों की मर्ज़ी के मुताबिक़ काम कररहे हैं। उन्हों ने कहा कि संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ ताअज़ीरात-ए-हिंद की मुख़्तलिफ़ दफ़आत के तहत जो इल्ज़ामात आइद किए गए हैं, वो सब काबिल ज़मानत हैं चुनांचे उन की ज़मानत मंज़ूर की जानी चाआई। रियास्ती हुकूमत के सीनीयर वकील ऐस वे राजू ने भट्ट की ज़मानत की मुख़ालिफ़त करते हुए कहा कि वो ज़मानत के मुस्तहिक़ नहीं हैं क्योंकि वो आदी मुजरिम हैं और उन का क़दीम मुजरिमाना रिकार्ड पाया जाता है। अपने दावे की ताईद में राजू ने दीगर भट्ट के ख़िलाफ़ मुख़्तलिफ़ अदालतों में जारी दीगर मुक़द्दमात का हवाला दिया। इन में 1994-ए-में पोरबंदर में तहवील में मौजूद शख़्स की पुलिस हुर्रा सानी का मुक़द्दमा भी शामिल है। राजू ने कहा कि बादियुन्नज़र में संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ ऐसा ठोस मुक़द्दमा पाया जाता है जिस में उन्हें सज़ाए उम्र क़ैद भी होसकती है। उन्हों ने संजीव भट्ट पर इस मुक़द्दमे की तहक़ीक़ात में तआवुन ना करते हुए क़ानूनी अमल से गुरेज़ की कोशिश का भी इल्ज़ाम आइद किया। उन्हों ने कहा कि चार मर्तबा सुमन जारी करने के बावजूद वो तहक़ीक़ाती ओहदेदार के रूबरू पेश नहीं हुई। इस के इलावा उन पर शवाहिद में छेड़छाड़ का भी इल्ज़ाम है। मिस्टर संजीव भट्ट ने उन की जेल से रिहाई को हक़ की फ़तह से ताबीर किया। उन्हों ने इस बात पर ख़ुशी ज़ाहिर की कि आख़िर कार हक़ की जीत हुई। उन्हों ने उसे सरकारी स्पांसर करदा दहश्तगर्दी का शिकार मुतास्सिरीन की कामयाबी से ताबीर किया। उन्हों ने कहा कि जेल में रहने से उन के हौसले मज़ीद बुलंद हुए हैं और वो अपने काज़ केलिए ज़्यादा मेहनत और जज़बे के साथ काम करेंगी। पुलिस लॉक अप में रखने के दौरान उन के साथ इख़तियार करदा तर्ज़ अमल के बारे में संजीव भट्ट ने कहा कि वो इस पर कोई तबसरा नहीं करेंगी, ताहम मौज़ूं वक़्त आने पर हक़ायक़ को बेनकाब किया जाएगा। उन्हों ने गुजरात आई पी ऐस ऑफीसरस एसोसी उष्ण और साथ ही साथ अरकान ख़ानदान से इज़हार-ए-तशक्कुर किया जिन्हों ने उन की भरपूर ताईद-ओ-हिमायत की। संजीव भट्ट का उन की क़ियामगाह पर अहलिया श्वेता भट्ट और दो बच्चों के इलावा दीगर अरकान ख़ानदान ने जज़बाती ख़ौरमक़दम किया। संजीव भट्ट ने कहा कि इन का वाहिद मक़सद 2002-ए-फ़सादात के मुतास्सिरीन को इंसाफ़ बहम पहूँचाना है। जब उन से पूछा गया कि क्या उन्हें रियास्ती हुकूमत की जानिब से दीगर कोई मुक़द्दमा में फंसाए जाने का अंदेशा है, संजीव भट्ट ने कहा कि उन्हें ऐसा कोई ख़ौफ़ नहीं है और ना उन के ज़हन में ऐसे कोई अंदेशे पाए जाते हैं। उन्हों ने इल्ज़ाम आइद किया कि गिरफ़्तारी के बाद उन की तलाशी का मक़सद अहम शवाहिद को तलफ़ करना था जो उन्हों ने चीफ़ मिनिस्टर नरेंद्र मोदी और रियास्ती हुकूमत के ख़िलाफ़ इकट्ठा किए हैं।