डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर मुहम्मद महमूद अली ने उर्दू मस्कन, खिलवत में दो रोज़ा क़ौमी सेमिनार का इफ़्तेताह करते हुए एलान किया है कि रियासती हुकूमत उर्दू ज़बान और मुसलमानों की तरक़्क़ी के लिए तमाम मुम्किन इक़दामात करेगी।
निसाब तालीम में क़ुतुब शाही और आसिफ़ जाहि हुकमरानों की तारीख़ को शामिल किया जाएगा। उर्दू तमाम सरकारी, ख़ानगी और कॉरपोरेट स्कूलों में उर्दू की तालीम को लाज़िमी क़रार दिया जाएगा और जहां कहीं 10 बच्चे हूँ, वहां उर्दू की तालीम का इंतेज़ाम किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि गुज़श्ता 57 बरसों के दौरान उर्दू ज़बान को दानिस्ता तौर पर नजरअंदाज़ किया गया है। ये हमारी ज़बान है और हम ही उस को तरक़्क़ी देंगे। उन्होंने चीफ़ मिनिस्टर के चन्द्रशेखर राव की क़ियादत में हुकूमत तेलंगाना के तरक़्क़ीयाती प्रोग्रामों और पालिसीयों का तफ़सीली ज़िक्र करते हुए उर्दू एकेडेमी को तजवीज़ पेश की के वो मुअम्मर उर्दू सहाफ़ीयों और अदीबों को आसरा स्कीम के ख़ुतूत पर माहाना पेंशन जारी करने पर ग़ौर करे।
उन्होंने कहा कि मुल्क भर में सब से बड़ा बजट तेलंगाना की उर्दू एकेडेमी का है, एकेडेमी की कई स्कीमात हैं जिन से अवाम को रोशनास करवाने और शऊर बेदार करने के लिए भी कई प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं और उर्दू एकेडेमी की जितनी भी स्कीमों हैं, इन में हर स्कीम पर सद फ़ीसद अमल किया जाएगा। प्रोफेसर अबदुलसत्तार दलवी (मुंबई) ने इफ़्तेताही मीटिंग की सदारत की।
उन्होंने कहा कि तेलंगाना उर्दू एकेडेमी इंतेहाई फ़आल और कारकरद है और मुल्क भर में इस का रोल इंतेहाई अहम है। उन्होंने कहा कि उर्दू मुशतर्का तहज़ीबी विरसा है और आज का दौर बच्चों की उर्दू में तर्बीयत और ज़हन साज़ी का है।
मौजूदा चीफ़ मिनिस्टर चन्द्रशेखर राव उर्दू दोस्त हैं और तवक़्क़ो हैके उनकी सरपरस्ती में उर्दू के सुनहरे दौर का अहया होगा। मुमताज़ सहाफ़ी नसीम आरफ़ी ने उर्दू ज़बान की तबाही और तनज़्ज़ुल की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि इस तबाही के लिए हुकूमतें भी ज़िम्मेदार रही हैं।
उर्दू स्कूल कम होरहे हैं और अब कोई पुर्साने हाल नहीं है। साबिक़ा हुकूमतों का रवैया बेहिसी और लापरवाही का रहा है। मौजूदा चीफ़ मिनिस्टर उर्दू और मुसलमानों की तरक़्क़ी के लिए मुदब्बिराना फ़ैसले कररहे हैं। उन्होंने कहा कि अब सिर्फ़ दीनी मदारिस में उर्दू का चलन है।
सीनीयर सहाफ़ी मीर अय्यूब अली ख़ां ने कहा कि तहिरीक-ए-आज़ादी के बाद जो उर्दू सहाफ़त उभरी थी, वो अब रूबा ज़वाल है। उन्होंने कहा कि उर्दू पढ़ने वाले और उर्दू अख़बारात पढ़ने वालों की तादाद घटती जा रही है। मुस्तफ़ा कमाल ने कहा कि उर्दू अख़बारात जिस सूरत-ए-हाल का शिकार हैं, इस का हल ढूंढ निकालने की कोशिश क्युं नहीं की जाती।
प्रोफेसर बैग एहसास ने कार्रवाई चलाई और शुक्रिया अदा किया। सेमिनार की पहली मीटिंग दोपहर में प्रोफेसर अबदुलसत्तार दलवी की सदारत में मुनाक़िद हुआ जिस में फ़ज़ल उल्लाह मुकर्रम, प्रोफेसर नसीमुद्दीन फ़रीस, हबीब निसार और प्रोफेसर फ़ातिमा प्रवीण ने मक़ाले पेश किए। बीबी रज़ा ख़ातून ने निज़ामत की।