मुआशरा इस्लाह में उर्दू अख़बारात का अहम रोल

तानडोर ३१ दिसम्बर (सियासत डिस्ट्रिक्ट न्यूज़ )उम्मत मुस्लिमा की ज़बूँहाली में कई अस्बाब हैं बुनियादी सब उम्मत का मुआशरती बिगाड़ और मुआशरा का बिगाड़ आदमी के बिगाड़ से शुरू होता है और आदमी बिगड़ता है दल के बिगड़ने से और जो दिल सँभाल लेता सँभल जाता है इन ख़्यालात का इज़हार मौलाना जलाल उद्दीन क़ासिमी ने जमईयत अहलहदीस के ख़िताब आम में मेहमान मुक़र्रर की हैसियत से सदारती ख़िताब करते हुए किया । मौलाना ने कहा कि आमाल की इस्लाह का दार-ओ-मदार दिल की कैफ़ीयत पर मुनहसिर है दिल अगर ख़ौफ़ ख़ुदा से मामूर है तो इस्लाह का तालिब होता है और फ़र्द की इस्लाह होती है फ़र्द की इस्लाह ही दरअसल मुआशरा की इस्लाह है ।

मौलाना जलाल उद्दीन क़ासिमी ने उम्मत के पेचीदा मुआशरती मसाइल जैसे मुस्लिम लड़के लड़कीयों की बेराह रवी और मसाजिद की ज़बूँहाली को उर्दू अख़बारात के ज़रीया क़ौम को वाक़िफ़ करवाए जाने के मुताल्लिक़ कहा कि उर्दू अख़बारात का अहल उर्दू ख़सूस मुस्लमानों पर एहसान अज़ीम है कि इस पर आशूब दौर में उम्मत के पेचीदा मसाइल से वाक़िफ़ करवाते हुए उर्दू अख़बारात मुआशरा की इस्लाह में अहम रोल अदा कर रहे हैं ।

मौलाना ने मज़ीद कहा कि मुस्लिम लड़कीयों की बेराह रवी मुस्लिम मुआशरा के लिए नासूर बनती जा रही है अगरचे कि इस्लाम में लड़की को निकाह केलिए अपनी पसंद की आज़ादी है ताहम निकाह में वली की इजाज़त को बुनियादी एहमीयत हासिल है वली की इजाज़त के बगै़र किया गया निकाह बातिल है और वली लड़की का बाप या दादा या फिर बाप का भाई हो सकता है मौजूदा मुआशरती बिगाड़ में इस्लामी तालीमात ही वो वाहिद राह है ।मज़कूरा ख़िताब आम को दीगर मेहमान-ओ-मुक़ामी उल्मा ने मुख़ातब किया जब कि निज़ामत के फ़राइज़ मौलाना ख़ुर्रम जामई ने अदा किए । इस मौक़ा पर मुहम्मद ख़्वाजा नाज़िम ज़िला जमात-ए-इस्लामी हिंद ,मुहम्मद अबदाल अहद सदर मुस्लिम वेलफेयर एसोसीएसन तानडोर ,मुहम्मद ख़ुरशीद हुसैन ,मौलाना मुहम्मद नज़ीर,मौलाना अबदुर्रहीम-ओ-दीगर मौजूद थे ।