रांची : ओपोजिशन पार्टियों ने मुकामी व तक़र्रुरी पालिसी पर रियासती हुकूमत पर उलझाने का इल्ज़ाम लगाया है। उसका कहना है कि हुकूमत इस पर सिर्फ नौटंकी कर रही है। अगर सही में सरकार संगीन होती, तो इस मसला का हल निकल गया होता। हुकूमत पार्टी अपने एमएलए से ड्रामा करा रही है। मौजूदा हुकूमत इसका हल नहीं चाहती।
झामुमो लीडर व साबिक एसेम्बली सदर शशांक शेखर भोक्ता ने कहा है कि इज्तेमाई तौर से हुकूमत के एमएलए की तरफ से सीएम को ख़त लिखने से यह वाज़ेह हो गया है कि वे भी महसूस करने लगे हैं कि सेंटर और यह हुकूमत झारखंड के मुफाद के मुताबिक नहीं है। यह हुकूमत मुकामी पालिसी और तक़र्रुरी पालिसी अल्फाज़ के जाल में लोगों को फंसाना चाह रही है। हुकूमत पार्टी के लोग इस पर सियासत कर रहे हैं। झामुमो शुरू से ही इस हक में है कि मुकामी पालिसी को मेन स्ट्रीम में लाया जाए। तहरीरी राय मांगने पर वार करते हुए कहा कि सीएम एसपी और डीसी के ट्रांसफर में तमाम पार्टियों की राय मांगते हैं क्या। भाजपा को एमेंडेंट मिला, इसका इज्ज़त नहीं कर यह हुकूमत मुखालिफ पार्टियों पर ठीकरा फोड़ना चाह रही है।
साबिक सीएम और झाविमो सरबराह ने बाबूलाल मरांडी ने इक्तिदार पार्टी के एमएलए की तरफ से मुकामी व तक़र्रुरी पालिसी को लेकर हुकूमत को लिखे गए ख़त को नौटंकी करार दिया है। यह हुकूमत कुछ करेगी नहीं। अगर हुकूमत इस सिम्त में संगीन रहती तो अब तक यह मसला हल हो गया होता। अभी भी चाहेगी, तो हल हो जाएगा। झाविमो को एक ख़त आया कि अब तक कोई राय नहीं भेजा गया है। जबकि तमाम पार्टी की बैठक में ही पार्टी अपना हक रख चुकी है। मुकामी पालिसी के साथ-साथ तक़र्रुरी पालिसी भी बनाया जाना चाहिए।
साबिक वजीर बंधु तिर्की ने कहा कि अगर इक्तिदार पार्टी के एमएलए इस मामले में संगीन हैं तो उन्हें खुलकर सामने आना चाहिए। गुपचुप तरीके से ख़त लिखने से कुछ नहीं होगा। इससे वे जिम्मेवारी से आज़ाद नहीं हो पाएंगे। पालिसी नहीं होने से यहां के नौकरियां बाहरी लोग छीन रहे हैं।