वज़ीर-ए-आज़म ( प्रधान मंत्री) मनमोहन सिंह ने एक दूसरे से मुख़्तलिफ़-ओ-मुतज़ाद फ़िक्र-ओ-ख़्याल रखने वाले अफ़राद में बढ़ती हुई अदम रवादारी (उदारता) पर आज गहरी तशवीश ( चिंता,सोच) का इज़हार करते हुए माक़ूल रास्ता इख्तेयार करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया क्योंकि तंगनज़री पर मबनी ज़हनीयत से इख़तिराई-ओ-तदरीजी अंदाज़-ए-फ़िक्र मुतास्सिर ( प्रभावित) हो सकता है।
वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि लोग एक ऐसा माक़ूल रास्ता इख्तेयार करने की सलाहीयत से महरूम ( वंचित) हो रहे हैं जहां मुख़्तलिफ़ ख़्यालात-ओ-नज़रियात के हामिल अफ़राद अपने नज़रियात का खुल कर इज़हार कर सकें। डाक्टर मनमोहन सिंह ने कहा कि अवामी मुबाहिस को बिलउमूम ( आमतौर पर/ प्राय:) सनसनी ख़ेज़ी का यरग़माल ( बंदी) बना दिया जाता है।
बसाऔक़ात ( प्राय: )मुझे ये डर लगता है कि बढ़ती हुई तंगनज़री-ओ-कोताह ज़हनी का ये कल्चर कहीं हमारे मुल्क के नौजवानों में इख़तिराई-ओ-तदरीजी सलाहीयतों ( योग्यताओं) और अंदाज़ फ़िक्र को ज़ाय ( बर्बाद) ना कर दे। वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि मैं ये महसूस कर रहा हूँ कि मौजूदा सख़्त गेरी से मुतज़ाद-ओ-मुख़ालिफ़ नज़रियात और नाराज़गी रखने वाले अफ़राद के दरमयान अदम रवादारी ( उदारता) में इज़ाफ़ा हो रहा है।
ऐसा मालूम होता है कि हम एक ऐसा माक़ूल रास्ता इख्तेयार करने की सलाहीयत से महरूम होते जा रहे हैं जहां एक दूसरे से नज़रियात का इज़हार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हिंदूस्तानी तहज़ीब समाजी यकजहती-ओ-हम आहंगी के तहफ़्फ़ुज़ और एक दूसरे से मुख़्तलिफ़ नज़रियात , शनाख़्त और तहज़ीबी इख्तेलाफ़ात को बालातर रखते हुए इत्तिहाद( एकता) मुसालहत ( समझौता) और ख़ैरसिगाली को फ़रोग़ देने की अज़ीम रवायात ( प्रचलन)से मालामाल है।
डाक्टर मनमोहन सिंह ने कहा कि आज़ादी इज़हार-ए-ख़्याल के मायनों की एक बसीरत अफ़रोज़ सूझ बूझ और साईंसी मिज़ाज , तशहीर-ओ-तरवीज और रवादारी के उसूल-ओ-रवायात के ज़रीया फ़रोग़ देना चाहीए। इंडियन साईंस कांग्रेस एसोसीएशन (आई एस सी ए) के सद साला यौम तासीस ( बुनियाद) के मौक़ा पर इस इदारा के सरबराह ( व्यवस्थापक) आम की हैसियत से ख़िताब करते हुए डाक्टर मनमोहन सिंह ने कहा कि आइन्दा साल के लिए इस कांग्रेस का मौज़ू हिंदूस्तान के मुस्तक़बिल की तर्तीब (सुधार) में साईंस का रोल रहेगा।
उन्होंने कहा कि ये एक ऐसा मौज़ू (विषय) है जो 100 साल क़ब्ल इस इदारा ( संस्था) की तासीस ( बुनियाद) के मौक़ा पर भी अपनी एहमीयत-ओ-इफ़ादीयत के एतबार से हम आहंग था।
कोलकता यूनीवर्सिटी में मुनाक़िदा ( आयोजित) तक़रीब से ख़िताब ( संबोधित) करते हुए वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि में इस इदारा ( संस्था) की मुकम्मल मदद और हिंदूस्तानी साईंस के लिए हुकूमत के पुख़्ता अज़म का इशारा देता हूँ क्योंकि नई नई ईजादात-ओ-इख़तिराआत की इस दहाई में ये इदारा एक नाज़ुक सूरत-ए-हाल से गुज़र रहा है।
वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि हमारे बेपनाह मसाएल ( समस्यायें) हैं जिन के साईंसी हल तलाश करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि तरक़्क़ी के लिए कमयाब क़ुदरती वसाइल (साधन) पर इन्हिसार ( निर्भर) के बजाय इल्म-ओ-अक़ल के बेपनाह वसाइल-ओ-ज़राए का भरपूर इस्तेमाल किया जाना चाहीए।