मुखिया जी की दौड़ रहीं 450 करोड़ की गाड़ियां

बिहार की पंचायतों में चार अरब की गाड़ियां दौड़ लगा रही हैं। गाड़ियों के नये-नये मॉडल गांवों में पहुंच रहे हैं। पंचायत मुखियों की बात करें तो 60 फीसद के ज़्यादा के पास आठ से बारह लाख रुपये कीमत की गाड़ियां हैं।

एक गाड़ी की औसत कीमत नौ लाख भी मानी जाये, तो यह कीमत साढ़े चार अरब रुपये से ज़्यादा होती है। जमीन, मकान, ट्रैक्टर और ज्वेलरी अलग से। कई के पास एक से ज्यादा गाड़ियां हैं। ज़ायदाद बटोरनेवाले तकरीबन 110 मुखियों के बारे में एकोनोमी जुर्म यूनिट (इओयू) सबूत जुटा रहा है। इस सिलसिले में पुलिस हेड क्वार्टर ने तमाम अज़ला को हिदायत दे रखा है।

60 फीसद गाड़ियां रूरल में

महिंद्रा एंड महिंद्रा के मुताबिक मोटेतौर पर 60 फीसद गाड़ियां देही इलाके में जाती हैं। बोलेरो और स्कार्पियो की मांग रूरल में ज्यादा है। इसकी वजह इन गाड़ियों का रफ एंड टफ होना माना जाता है। कॉमर्शियल व्हेकिल की ज्यादा खपत रूरल एरिया में ही है।

क्या कहता है पंचायती राज महकमा

बदउनवानी पर जीरो टालरेंस की पॉलिसी के तहत मुखियों और पंचायती राज में मुकर्रर नुमाइंदों के बारे में ईकतेसादी गड़बड़ियों की जो भी शिकायतें मिलती हैं, महकमा उसकी छानबीन करता है। डीएम भी ऐसे मामलों में कदम उठाने के लिए मुकर्रर हैं।

बदउनवनी से जुड़े मामलों में कई मुखिया, सरपंच और अफसरों पर मुकदमें हुए हैं। वे जेल गये है।