मुख्तार से ताईद लेकर दोहरी मुसीबत में फंसे अजय राय

वाराणसी में कौमी एकता दल की ताईद को लेकर अजय राय दोहरी मुसीबत में फंस गए हैं। अपने भाई अवधेश राय के कत्ल के मुल्ज़िम मुख्तार अंसारी के खेमे की हिमायत लेने से भूमिहारों के बीच उन पर सवाल होने लगे हैं, वहीं ताईद न देने के बावजूद कौमी एकता दल के कारकुन अभी तक राय के हक में सरगर्म नहीं हुए हैं।

कांग्रेस के सीनीयर लीडर गुलाम नबी आजाद ने जुमेरात के रोज़ इस हवाले में कौमी एकता दल के एक सीनीयर लीडर से अपनी शिकायत दर्ज कराई लेकिन उसका भी कोई असर होता नजर नहीं आ रहा है।

कांग्रेस हाईकमान ने अंसारी बिरादरी के कौमी एकता दल से हिमायत इस लालच में लिया कि कांग्रेस को मुसलमानों का ज़्यादा से ज़्यादा हिमायत हासिल होगी, पर ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है।

कांग्रेस उम्मीदवार को ताईद देने के दूसरे ही दिन से कौमी एकता दल के वाराणसी के लीडरों व कारकुनो को घोसी बुला लिया गया है, जहां से मुख्तार अंसारी इलेक्शन में खड़े हैं। घोसी और वाराणसी में एक ही दिन इलेक्शन होना है।

ताईद के ऐलान के बाद कौमी एकता दल के कारकुन जब कई दिनों तक कांग्रेस की तश्हीर में नहीं दिखे तो गुलाम नबी आजाद ने दल के कौमी नायबसदर अतहर जमाल लारी से इस ताल्लुक में शिकायत दर्ज कराई।

लारी ने आजाद के फोन पर हुई बात को कबूलते हुए बताया कि उन्होंने कांग्रेस लीडर से कह दिया, ‘जब घोसी से खाली होंगे तभी वाराणसी आकर तश्हीर करेंगे।’ यह साफ नहीं किया कि घोसी से कब खाली होंगे।

वहीं कौमी एकता दल के डिवीजनल इंचार्ज सलीम अहमद ने इस हवाले में कहा कि कौमी एकता दल के लोग वाराणसी में कांग्रेस उम्मीदवार के हक में भी सरगर्म हैं। पार्टी के कारकुनो की पहचान हरे रंग के दुपट्टे से होती है। लेकिन गर्मी में दुपट्टे का कच्चा रंग चेहरे या कपड़ों पर उतर आता है।

इससे बचने के लिए कारकुन उस दुपट्टे का इस्तेमाल करने से बच रहे हैं और अलग से पहचान में नहीं आ रहे हैं। वहीं, फौजदारी के एक वकील ने कहा कि दोनों खेमों में रंजिश इतनी गहरी है कि सियासी तौर से जहां भी रहें, एक दूसरे के हमदर्द नहीं हो सकते। अंसारी बिरादरी से राय की मदद की उम्मीद करना खामख्याली के सिवा कुछ नहीं हो सकता। माफिया की आपसी रंजिश सियासत नहीं खत्म करा सकती।