मुगलसराय की दुनिया में अपनी अलग पहचान है। एशिया के सबसे बड़े रेलवे मार्शलिंग यार्ड और भारतीय रेलवे का ‘क्लास-ए’ मुगलसराय स्टेशन एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। इस बार ये रेलवे स्टेशन अपनी व्यापकता के लिए नहीं, बल्कि नाम बदले जाने को लेकर सुर्ख़ियों में है।
उत्तर भारत के प्रमुख रेलवे स्टेशन मुगलसराय का नाम बदलकर जनसंघ के नेता दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर किए जाने के लिए योगी सरकार ने गृहमंत्रालय के आगे एक प्रस्ताव रखा था। अब योगी सरकार के इस प्रस्ताव को गृह मंत्रालय ने हरी झंडी ने दे दी और अब मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीन दयाल स्टेशन हो गया।
एशिया का सबसे बड़ा यार्ड होने की वजह से यहां सबसे ज्यादा ट्रेनें ठहरती हैं। मुगलसराय स्टेशन का निर्माण 1862 में उस समय हुआ था, जब ईस्ट इंडिया कंपनी हावड़ा और दिल्ली को रेल मार्ग से जोड़ रही थी।
मुगलसराय से हर दिन करीब 250 ट्रेनें गुजरतीं हैं। अगर इसकी धड़कन रुकी तो पूरी भारतीय रेल का नवर्स ब्रेकडाउन हो जाता है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय 1968 में रहस्यमय हालात में मुगलसराय स्टेशन पर मृत पाए गए थे।
मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलने को लेकर राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ था। समाजवादी पार्टी के सांसदों ने इसका विरोध किया था। समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा था कि सरकार यूपी का भूगोल बदलना चाहती है, ये देश का सबसे पुराना रेलवे स्टेशन है।
सरकार के इस फैसले पर मुगलसराय के लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। मुगलसराय स्टेशन का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता है। जबकि पंडित दीनदयाल के नाम की लोकप्रियता कम है। किसी पार्टी विशेष की विचारधारा थोपना ग़लत है।