मुजफ्फरनगरः गूंजी शहनाई, पनाह गज़ीन कैंप में हुए निकाह

उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर दंगे के बाद घर छोड़कर पनाह गज़ीन कैंप में रह रही 27 लड़कियों का एक साथ निकाह कराया गया। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की पहल पर इजतिमायी शादी की रिवायत के मुताबिक हुए। मौलाना सैय्यद अरशद मदनी ने निकाह पढ़ाया। मुल्क में अमन और चैन के लिए भी खुसुसी दुआ कराई गई।

घर छोड़ पनाह गज़ीन कैंप में वक्त गुजार रहे लोगो के लिए बुध का दिन बेहद खास रहा। मोहल्ला कस्सावान में शादी की खुशियां पसरी थी। यहां एक या दो नहीं बल्कि 27 बेटियों के निकाह की तैयारियों में हर शख्स जुटा हुआ था।

कोई बारातों को खाना खिला रहा था तो कोई बेटियों को दिए जाने वाले सामान को रखवा रहा था। दोपहर बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद के कौमी सदर मौलाना सैय्यद अरशद मदनी, रियासके सदर अशहद मदनी पहुंचे।

दूल्हों को एक साथ बैठाकर रस्म अदा कराई। खुद मौलाना सैय्यद अरशद मदनी ने निकाह पढ़ाया। उन्होंने मुल्क के अमन-चैन की दुआ भी कराई। और दुआ में सैकड़ों लोग शामिल हुए।

बेघर हुई बेटियों को निकाह के बाद रियासती हुकूमत ने एक-एक लाख रुपये का तोहफा दिया। जमीयत ने दस-दस हजार रुपये दिए। यही नहीं सबके लिए घर की जरूरत का बराबर सामान खरीदा गया। मौके पर ही चेक तक्सीम किए गए।

निकाह की रस्म के बाद हाजी बाल्ले के घेर में इंतेज़ामिया के ओहदेदारों की मौजूदगी में मौलाना सैय्यद अरशद मदनी और रियासत की वज़ीर आशु मलिक ने बेटियों के नाम चेक तक्सीम किए।

यही नहीं जमीयत ने घर की जरूरत का सभी सामन भी दिया। सोने-चांदी के एक-एक गहने के इलावा संदूक, सिलाई मशीन, कुर्सी-मेज, पंखा, बर्तन, कपड़े वगैरह भी दिए गए। मेवात से आए जमीयत के लोगों ने सभी को पांच-पांच सौ रुपये भी रुखसती के वक्त दिए।

कसबे से सटे काकड़ा गांव की 23 बेटियों की एक साथ शादी हुई। अलग-अलग जगह से बारात पहुंची थी। पुरबालियान में हुए हमले के बाद अक्लियतों ने काकड़ा छोड़ दिया था। जान का नुक्सान तो उनके गांव में नहीं हुआ, लेकिन इल्ज़ाम है कि उनके घरों को आग के हवाले कर दिया गया।

—-बशुक्रिया: अमर उजाला