मुजफ्फरनगर दंगा: मुसलमानो के साथ साथ हिंदुओं का भी उठा भरोसा

मुजफ्फरनगर में हुए दंगे ने हिंदू और मुसलमान, दोनों ही फिर्के को जख्म दिए हैं। जहां तमाम मुसलमान घर-बार छोड़कर दूसरे मुकामो पर चले गए हैं, वहीं तमाम हिंदूओं ने भी गांवों को छोड़ दूसरे मुकाम पर चले गए हैं जहां उन्हें खतरा महसूस हो रहा था। सात सितंबर को महापंचायत से लौट रहे लोगों पर जौली नहर की पटरी पर हुए दंगे के बाद से आसपास के गांव में रहने वाले हिंदू भी घर छोड़ कर चले गए हैं। यहां से ख्वातीन और बच्चों का जाना जारी है। लोग सात सितंबर के वाकिया से अभी भी डरे हुए हैं।

जौली, तेवड़ा, रुड़कली, नया गांव, तिसवा और पटौली में हिंदुओं की तादाद कम है। हर गांव में पांच सौ से लेकर सात सौ की तादाद में लोग हैं। सात सितंबर को महापंचायत के बाद हुए दंगे से हिंदुओं के मन में जान का डर बन गया। लोग ख्वातीन और बच्चों को महफूज़ वाले मुकाम पर भेज रहे हैं।

अरकान खानदान के सिर्फ दो-तीन मर्द ही यहां पर रहकर घरों की रखवाली कर रहे हैं। दिन में वे घरों से बाहर नहीं निकलते हैं। सेक्युरिटी के नाम पर यहां कोई इंतेजाम नहीं हैं। पुलिस की गाड़ी आती है और बिना रुके ही निकल जाती हैं। अभी तक यहां से तकरीबन दो हजार ख्वातीन और बच्चे अपने रिश्तेदारों के घर पर पनाह ले रहे हैं।

मुकामी लोगों का इल्ज़ाम है कि इन गांवों में पुलिस ने अभी तक तलाशी मुहिम नहीं चलायी है। साथ ही दिन में कुछ मुशतबा अफराद की आवाजाही भी देखी जा रही है।

हालांकि खाप चौधरियों और जिम्मेदार लोगों ने भाईचारा कायम करने की कोशिश शुरू की है, लेकिन शामली जिले के दहशतजदा दंगा मुतास्सिर ख्वातीन, बच्चे व मर्द ने वापस लौटने से साफ इन्कार कर दिया है। शामली के दिल्ली रोड वाकेय् मदरसे में पनाहगज़ीन कैंप लगा है। इसमें गांवों से आए हुए कई लोगों की आंखों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं।

सभी की जुबां पर एक सवाल है कि उनकी क्या गलती थी। कैंप में रह रहे लांक लांक के शफीक, इलियास ने बताया कि दंगाइयों ने घरों में आग लगा दी। जान से मारने को दौड़ पड़े। बामुश्किल भागकर जान बची है। अदम एतेमाद जताते हुए कहा कि अब दोबारा कभी वापस नहीं जाएंगे।

भौरा खुर्द के शौकत, महबूब, शहीद, शाकिर, कुड़ाना की शकूरा, शकील, ने रूंधे गले से कहा कि उनके गांव के हिंदू-मुस्लिम भाई-भाई की तरह रहते थे। एक दूसरे पर जान छिड़कते थे, लेकिन मालूम नहीं किसकी नजर लगी कि सब एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए। बोले, मुहब्बत, भाईचारा और घर, सबकुछ तो जल गया। अब गांव में नफरत के सिवा कुछ नहीं बचा है।