नई दिल्ली। मुजफ्फरनगर दंगों की विष्णु सहाय रिपोर्ट में कहा गया है समाजवादी पार्टी ने 14 मुस्लिम युवकों को रिहा करने में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया था। इन युवकों पर दो जाट लड़कों की हत्या का आरोप था।
जस्टिस सहाय की रिपोर्ट के मुताबिक,’हिंदुओं के बीच यह संदेश गया कि सरकार और प्रशासन मुस्लिमों के पक्ष में थी और प्रशासन पूरी तरह से सरकार के इशारों पर काम कर रहा था।’ बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर दंगों को रोक पाने में समाजवादी पार्टी की विफलता को जोर-शोर से उठाया था। बीजेपी अभी भी इस मामले को लेकर काफी सक्रिय रहती है।
हालांकि रिपोर्ट में किसी नेता का नाम नहीं लिया गया है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के कुछ वरिष्ठ मंत्रियों ने आरोपियों के ओर से हस्तक्षेप किया था। इससे अगस्त 2013 में कवल हिंसा में भावनाओं के भड़काने की कोशिश की गई थी, इस हिंसा में दो जाट भाइयों और एक मुस्लिम युवक की हत्या हो गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि शाहनवाज की हत्या में दो हिन्दू लड़कों के अलावा अन्य के नाम शामिल करने से हिंदू खासकर जाट समुदाय के लोग गुस्से में आ गए। रिपोर्ट के मुताबिक,’शाहनवाज की हत्या में गौरव और सचिन के अलावा अन्य नाम जोड़े जाने की वजह से हिंदुओं, खासकर जाटों में यह संदेश गया की सरकार मुस्लिमों के पक्ष में है।’
जस्टिस सहाय साफ तौर पर कहते हैं कि मुस्लिम युवकों को रिहा करने के खिलाफ कोई संदेह नहीं था लेकिन इससे बहुसंख्यक समुदाय को ऐसा लगा कि प्रशासन उन्हें निशाना बना रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एसएसपी मंजिल सैनी और डीएम सुरेंद्र सिंह का ट्रांसफर भी नियम के खिलाफ नहीं था लेकिन दंगों में इनका भी असर पड़ा। ऐसा माना गया कि जाट युवकों की हत्या में हुई गिरफ्तारियों की वजह से ये ट्रांसफर किए गए हैं। इससे लोगों को समाजवादी पार्टी के पक्षपातपूर्ण रवैये का एक और संदेश मिल गया।
Source – NBT