मुजफ्फरनगर दंगों पर सख्ती दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट जांच के साथ राहत व बहाली कामो की आखिर तक निगरानी के लिए तैयार हो गया है। आली अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में ज़ेर ए गौर मामले भी अपने यहां मुंतकिल ( Transfer) कर लिया है। अब तक एक-दूसरे पर तोहमत लगा रही मरकज़ी हुकूमत और उत्तर प्रदेश की हुकूमत ने कोर्ट में सुर में सुर मिला लिया है।
मरकज़ी हुकूमत ने रियासत हुकूमत को हर तरह की मदद देने की अज़्म जताते हुए साफ कर दिया है कि कानून निज़ाम रियासत का मसला है। वह उसमें दखल नहीं देगी। वहीं रियासती हुकूमत ने मामले को सियासी रंग देने की कोशिशों की मुखालिफत करते हुए कहा कि वह मुतास्सिरो को राहत और मदद देने मे मरकज़ी हुकूमत के साथ मिलकर काम कर रही है।
चीफ जस्टीस पी. सतशिवम की सदारत वाली बेंच ने कहा कि एक ही मामले में दो जगह सुनवाई की जरूरत नहीं है। साथ ही कहा कि हम पूरे मामले की निगरानी करेंगे। फिलहाल हम कोई आखिरी फैसला नहीं सुना रहे। कोर्ट ने ये हुक्म मुजफ्फरनगर के शहरियो व सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की दरखास्त पर सुनवाई के दौरान दिए।
जुमेरात को दरखास्तगुजारों के वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने मरकज़ी और रियासत के हलफनामे का हवाला देते हुए कहा कि दंगा से मुतास्सिरों को दी जा रही मदद काफी नही है। कोर्ट ने राहत कैंप लगाने और मुतास्सिरों के बहाली का हुक्म दिया था। लेकिन मुतास्सिर खुले मैदान में टेंट में रह रहे हैं। मरकज़ी हुकूमत भी जमीनी तौर पर कुछ नहीं कर रही सिर्फ खत लिखकर दस्तयाब मरकज़ी मंसूबो का ब्योरा दे रही है।
वह एक दूरी बनाए हुए है। इस पर बेंच ने कहा कि ब्योरा देखकर नहीं लगता कि हुकूमत ने कुछ नहीं किया। मरकज़ की ओर से पेश अटार्नी जनरल ने इल्ज़ामात की तरदीद करते हुए कहा कि कानून निज़ाम रियासत का मसला है इसलिए मरकज़ उसमें दखल नहीं दे रहा। उन्होंने कहा कि दरखास्तगुज़ारों आइन (संविधान) के आर्टीकल 258ए, 355, 356 का हवाला देकर मरकज़ से दखल देने की मांग कर रहे हैं। क्या ये मसला ऐसा है कि मरकज़ी हुकूमत इन दफआत के तहत दखल दे।
रियासती हुकूमत ने मुतास्सिरों को दी जा रही मदद का खुलासा ब्योरा देते हुए कहा कि इसे नाकाफी नहीं कहा जा सकता। रियासत मरकज़ के साथ मिलकर काम कर रहा है। मामले को सियासी रंग नहीं दिया जाना चाहिए। हमारे मुल्क में दंगे होते हैं जो बदकिस्मती है। गुजरात इसकी एक मिसाल है।
ताजा हालात पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि अब तक दंगे में 50 लोग मारे गए हैं। जबकि 27 नाज़ुक और 46 को हल्की चोटें आई हैं। करीब 42000 लोग मुजफ्फरनगर और शामली से बेघर हो चुके हैं। इस पर कोर्ट ने फिक्र भी जताया। कोर्ट ने हुकूमत को 26 सितंबर तक हालात की रिपोर्ट पेश करने का हुक्म देते हुए सुनवाई टाल दी। सुनवाई के दौरान एक टीवी चैनल के स्टिंग का भी मुद्दा उठा। लेकिन कोर्ट ने हुक्म देने से बचते हुए पहले अर्जी दाखिल करने को कहा।
दरखास्तगुज़ारो के वकील एमएल शर्मा ने सिर्फ एक खुसूसी तब्के को मदद देने का इल्ज़ाम लगाया।