लखनऊ।: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में अगस्त 2013 में हुए दंगे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बिष्णु सहाय की कियादत में तश्कील जांच कमीशन ने गवर्नर राम नाइक को अपनी अदालती जांच रिपोर्ट सौंप दी है।
कमीशन ने दंगों को भडकाने के लिए भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के मुकामी उम्मीदवारों को जिम्मेदार माना है। इन दंगों में 60 से ज्यादा लोग मारे गए थे और तकरीबन पचास हजार लोग बेघर हो गए थे।
हालांकि, जांच कमीशन की रिपोर्ट की कोई आफीशियली इत्तेला नहीं दी गई है, लेकिन ज़राये का कहना है कि कमीशन की जांच रिपोर्ट में पुलिस इंतेज़ामिया के कुछ अफसरों और समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के लीडरों को दंगे की आग भडकाने का मुजरिम माना है।
कमीशन ने 775 पेज की अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चूकों और लापरवाहियों के सबब दंगे के हालात बने और दंगे हुए । कमीशन के मुताबिक, दोनों पार्टियों के लीडरों की वजह से न सिर्फ मुजफ्फरनगर, बल्कि मगरिबी उत्तर प्रदेश के 5 जिलों में दंगे भडक उठे थे ।
दंगा जांच की रिपोर्ट में मुफ्फरनगर के उस वक्त के इंतेज़ामिया अफसरों और कुछ लीडरों को कठघरे में खडा किया गया है। क्मीशन ने जनता और सियासी पार्टियों के 377 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं। इसके अलावा 100 सरकारी अफसरों के भी बयान दर्ज किए गए हैं।
कमीशन का 7 बार तौसीअ किया गया और इसने अपनी रिपोर्ट पेश करने में 2 साल का वक्त लिया। पुलिस ने इस मामले में कई गिरफ्तारियां की जिसमें से कई मुल्ज़िम अभी भी सलाखों के पीछे हैं। इस रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया जाएगा और इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले की बुनियाद इसे आवामि करने या नहीं करने का फैसला लिया जाएगा।
गवर्नर राम नाइक अब इस जांच रिपोर्ट को वज़ीर ए आला अखिलेश यादव के पास आगे की कार्रवाई के लिए भेजेंगे। जस्टिस सहाय ने दंगों की जांच के सिलसिले में उस वक्त के डीजीपी देवराज नागर, मेरठ के आईजी और डीआईजी और जिला मजिस्ट्रेट के साथ-साथ सभी 5 दंगा मुतास्सिर जिलों के एसपी से भी पूछताछ की।