मुजफ्फरपुर कांड में एक और ख़ुलासा, ब्यूटी पार्लर तक लड़कियों की सप्लाई करती थी मधु

मुजफ्फरपुर बालिका गृह में बच्चियों के साथ यौन शोषण मामले में पुलिस ने मुख्य सरगना ब्रजेश ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया है। उसकी सबसे बड़ी राजदार रही मधु कुमारी अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। मधु मुजफ्फरपुर और बेतिया में सेक्स वर्करों के लिए पुनर्वास योजना चलाती थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार वह सेक्स वर्करों को पटना के ब्यूटी पॉर्लरों में भेजती थी। इस तरह वह देह व्यापार से जुड़े अवैध कारोबार की सूत्रधार बनी हुई थी।

मधु ने 2003 से शुरू किया था अभियान
साल 2003 में मुजफ्फरपुर के रेड लाइट एरिया में पुनर्वास के लिए वर्तमान एसपी ने अभियान शुरू किया था। उसी समय मधु ने कुछ महिलाओं को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए वामा शक्ति वाहिनी नाम से संस्था की शुरुआत की। यह पहली बार था जब बिहार में किसी संस्था ने रेड लाइट एरिया की महिलाओं के लिए पुनर्वास का काम शुरू किया था। उस समय पूरे देश में यह खबर चर्चा का विषय बनी थी। मधु कुमारी और ब्रजेश ने मिलकर 50 महिलाओं का एक गैंग तैयार किया। उसे दिखाकर कई कौशल विकास और लाइवली हुड का प्रशिक्षण देने के नाम पर सरकार से कई योजनाएं भी ली। वर्तमान में मधु की वामा शक्ति वाहिनी बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी द्वारा सेक्स वर्करों को एचआईवी से बचाने के लिए मुजफ्फरपुर और बेतिया में योजनाएं चला रही है। यही नहीं मुजफ्फरपुर में ही सेवा संकल्प समिति एड्स कंट्रोल सोसाइटी की दो योजनाएं चला रहा है।

14 जिलों में फैला रखा था जाल
इन दोनों संस्थाओं को एड्स कंट्रोल सोसाइटी ने ही पहली फंडिंग दी थी। सोसाइटी वामा शक्ति वाहिनी को 27 लाख रुपये पिछले साल तक दे रही थी। सेवा संकल्प समिति को लिंक वर्कर और लक्षित परियोजना के तहत हर साल एक करोड़ दस लाख रुपये फंड दिये गए। दोनों संस्थाओं ने 14 जिलों में अपना जाल फैला रखा था। इसकी योजनाओं में ब्रजेश के सगे-संबंधी ही शामिल हैं।

लाश गोद में उठाने से ज्यादा मुश्किल था बच्चियों का दर्द सुनना

मुजफ्फरपुर महिला थाना की अध्यक्ष ज्योति कुमारी ने बालिकागृह कांड की फाइलें सीबीआई को सौंपने के बाद ‘हिन्दुस्तान’ से खास बातचीत की। इसमें ज्योति ने कहा कि उन्होंने कई जघन्य अपराधों का अनुसंधान किया है, मगर मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड अब तक की वारदातों से अलग है। यह अजीब वारदात है! मैंने घटनास्थल से लाश को भी गोद में उठाया, लेकिन बालिका गृह की बच्चियों के दर्द बयान में दर्ज करना बहुत कष्टदायक था। सर्वाधिक चौँकाने वाली बात यह थी कि बेहसारा और लाचार बच्चियों के रक्षक ही भक्षक बन जाते थे। पूछताछ के दौरान पीड़ित लड़कियों ने बताया कि जब काउंसिलिंग के समय उनके साथ जुर्म सारी हदें पार करता था। दिन में उनके साथ अक्सर ‘गलत काम’ तब होता था, जब कोई काउंसिलिंग के लिए आता था। संकटग्रस्त लड़कियां अक्सर अवसाद की शिकार होती हैं। उन्हें सदमे से उबारते हुए मानिसक ताकत और हौसला देने के लिए नियमित काउंसिलिंग का प्रावधान है, परन्तु काउंसिलिंग के बजाय उनका यौन शोषण होता था।

न्यायाधीश की निगरानी में हो जांच : शरद
लोकतांत्रिक जनता दल के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने बालिका गृह प्रकरण की जांच उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में कराने की मांग की है । मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बिहार का प्रशासन तंत्र सड़ गया है और वह कोई काम नहीं कर पा रहा है। एक निजी संस्थान ने मुजफ्फरपुर की घटना की जांच की थी और अपनी रिपोर्ट दी थी लेकिन 55 दिनों तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी। उन्होंने कहा कि सरकार इस आश्रय गृह के संचालन के लिए सालाना एक करोड़ रुपये देती थी इसके बावजूद वहां की गतिविधियों पर नजर नहीं रखी जाती थी। इस मामले में राजनेता और अधिकारी दानों शामिल हैं। इसकी जांच कर दोषियों को फांसी की सजा दी जानी चाहिए।