मुजफ्फरपुर शेल्टर कांड: केंद्र और राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने भेजा नोटिस!

सुप्रीम कोर्ट ने रेप पीड़िता की किसी भी तरह से तस्वीर दिखाने को लेकर स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट ने मीडिया में नाबालिग रेप पीड़िता की तस्वीर किसी भी तरीके से दिखाने पर नाराजगी व्यक्त की है। कोर्ट ने मॉर्फ्ड (अस्पष्ट) तस्वीर के उपयोग पर भी पाबंदी लगा दी है। कोर्ट ने नाबालिग रेप पीड़िता की पहचान प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा उजागर करने पर भी चिंता जाहिर की है।

मुजफ्फरपुर रेप कांड मामले पर भी कोर्ट ने लिया संज्ञान
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में नाबालिग लड़कियों के साथ हुए यौन शोषण मामले पर भी सव्त: संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजा है।

बिहार के मुजफ्फरपुर के बालिका आश्रय गृह में बच्चियों के बलात्कार मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को स्वतः संज्ञान लिया। जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने मीडिया में आ रही पीड़ित बच्चियों की तस्वीरों पर चिंता जताई।

पीठ ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को आदेश दिया है कि वो बच्चियों का न तो इंटरव्यू लें और न ही तस्वीर दिखाएं। कोर्ट ने अस्पष्ट तरीके से भी तस्वीर दिखाने पर रोक लगा दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार, महिला-बाल कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग (NCPCR) और अन्य को नोटिस जारी कर मंगलवार तक जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को ही होगी।

मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीड़न मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने संज्ञान लिया था। आयोग ने मीडिया रिपोर्ट्स पर संज्ञान लेते हुए बिहार के डीजीपी और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा था। सीएम नीतीश कुमार ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने का फैसला लिया था।

दरअसल,इस मामले का खुलासा तब हुआ जब मुंबई की संस्था टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइसेंस की टीम ने बालिका गृह के सोशल ऑडिट रिपोर्ट में यौन शोषण का उल्लेख किया था।

इसके बाद मुजफ्फरपुर महिला थाने में इस मामले की एफआईआर कराई गई। इसके बाद लड़कियों के चिकित्सकीय जांच में भी यहां की 41 लड़कियों में से 29 लड़कियों के साथ दुष्कर्म होने की पुष्टि हुई थी। इस मामले में अब तक मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीड़न मामले में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने घटना की सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी और डीजीपी को आदेश दिया था कि जांच सीबीआई को सौंप दी जाए।

सीबीआई ने इस मामले में जांच शुरू करते हुए मुकदमा दर्ज किया था. दरअसल, घटना उजागर होने के बाद बिहार में विपक्ष सरकार पर हमलावर है।

विपक्ष ने इसकी सीबीआइ जांच की मांग की थी। इस घटना को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाते हुए जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहा था। इसे लेकर विधानमंडल के दोनों सदनों में भी कार्यवाही बाधित की जा रही थी।