मुंबई 6 मार्च : बॉम्बे हाइकोर्ट ने आज एक फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि अगर मुलाज़मत का उमीदवार कोई शख़्स अपनी वजह से किसी भी मुजरिमाना केस में सामिल होने की हक़ीक़त को छुपाएगा तो आजिर(अधीकारी) को ये हक़ होगा कि वो उसे सिरे से मुलाज़मत ही ना दे और अगर मुलाज़मत दी जा चुकी है तो उसे बर्ख़ास्त करदेने का हक़ और इख़तियार भी आजिर को हासिल होगा ।
हाइकोर्ट के मुताबिक़ अगर मुजरिमाना केस में किसी भी अदालत ने मज़कूरा फ़र्द को अच्छे चाल चलन की बुनियाद पर रहा / बरी या माफ़ भी कर दिया हो तो इस के बारे में आजिर को मालूमात फ़राहम करना मुतलाशी फ़र्द के लिए ज़रूरी होगा ।
अधीकारी को अगर ये मालूम होजाए कि इसके मुलाज़िम ने मुलाज़मत हासिल करते वक़्त इससे अहम मालूमात छिपा रखी है ख़ुसूसी तो पर मुजरिमाना सरगरमियों तो इस सूरत में आजिर को ये हक़ और इख़तियार होगा कि वो मज़कूरा फ़र्द की तक़र्रुरी को खत्म कर दें । जस्टिस बी पी धर्म अधीकारी और जस्टिस पी बी वराले ने ये बात बताई ।