वज़ीरे क़ानून कपिल सिब्बल की तजवीज़ पर अमल किया गया तो संगीन जराइम के मुर्तक़िब अफ़राद को इंतेख़ाब लड़ने से नाअहल क़रार दिया जाएगा। ये तजवीज़ हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की जानिब से दिए गए इस फैसले के तनाज़ुर में है कि सज़ा याफ़ता सियासतदानों को इंतेख़ाबात लड़ने से रोक देना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में रोलिंग देते हुए महरूस क़ाइदीन की रकनीत को बर्ख़ास्त कर देने पर ज़ोर दिया था। इस फैसले से महरूस क़ानून साज़ों को फ़ौरी तौर पर नाअहल क़रार देने की गुंजाइश पैदा होगई है। कपिल सिब्बल ने अब तजवीज़ रखी है कि एक बिल लाया जा रहा है जिस की मदद से संगीन जराइम के मुर्तक़िब अफ़राद को इंतेख़ाबात से दूर रखा जाएगा।
इस इक़दाम का मक़सद सरगर्म सियासत से मुजरिमों को दूर रखना है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने इस मसले पर पहले ही ला कमीशन की राय तल्ब की है। में ने ला कमीशन को मकतूब लिखा है और उनकी राय जानने की कोशिश की है, लेकिन शख़्सी तौर पर मेरा ये एकान् है कि उसे अफ़राद जिन पर इल्ज़ामात हैं और जिन्होंने संगीन जुर्म किया है, जैसे क़त्ल, अग़वा, इस्मत रेज़ि के मुर्तक़िब हुए हैं, तो उन्हें कम अज़ कम 7 साल की सज़ा दी जानी चाहिए।
अगर उन्हें सज़ा नहीं भी दी गई और उन पर इल्ज़ाम लगाया गया है तो उन्हें इंतेख़ाब लड़ने की इजाज़त नहीं दी जानी चाहिए। मुझे उम्मीद है कि हम इस तजवीज़ पर अमल कर सकते हैं। ये पूछे जाने पर कि आया उन्होंने इस मसले पर अपनी कांग्रेस पार्टी से तबादला-ए-ख़्याल किया है।
कपिल सिब्बल ने जवाब दिया कि जी नहीं। ये मेरी राय है। में बिलाशुबा आइन्दा सेशन में उसको पेश करूंगा। में अपने साथियों से भी मुशावरत करूंगा और उसे काबीना में पेश करने की कोशिश की जाएगी। अगर में एसा करने में कामयाब रहा तो फिर आगे की बातें आसान होंगी।
उन से ये पूछा गया कि आया उनकी तजवीज़ सुप्रीम कोर्ट के 10 जुलाई को दिए गए फैसले की रोशनी में तो नहीं है तो जेल में महरूम अफ़राद को सियासत के लिए नाअहल क़रार दिया जाये और मुजरिम सियासतदानों को फ़ौरी नाअहल बता दिया जाये? कपिल सिब्बल ने जवाब में कहा कि में इस फैसले से 10 क़दम आगे ही बढ़ रहा हूँ कि उसे अफ़राद को फ़ौरी नाअहल क़रार देने के साथ साथ उन्हें इंतेख़ाबी मैदान से दूर रखा जाये।