मुज्फफरनगर दंगा पीड़ितो का घर बसाने में नाकाम रही है सपा सरकार- अल्पसंख्यक आयोग

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने मुज्जफरनगर और शामली के विस्थापितों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है । दरअस्ल रिपोर्ट में यह कहा गया कि ज़्यादातर दंगा पीड़ितों ने कैराना जाकर बस गए हैं । जिसे अल्पसंख्यक आयोग ने ग़लत बताया ।

2013 में हुए मुज़फ्फरनगर दंगा पीड़ितों को आज तक सपा सरकार पुनर्वासित नहीं कर पाने असफल रही है।राष्टीय मानव अधिकार कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है 2013 में हुए मुज़फ्फरनगर दंगा विस्थापित लोगो को अपने घर वापसी कराने में सपा सरकार नाकाम रही है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जो पीड़ित श्यामली पुनर्वास में रह रहे हैं । वे बड़ी ही बुरी हालात में जीवन बसर कर रहे हैं।

सोमवार को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की दो सदस्यीय टीम ने 2013 मुज़फ्फरनगर दंगों को लेकर राज्य और केन्द्र की आलोचना करते हुए कहा कि दोनों ही सरकारों ने दंगा पीड़ितों की बेहतरी के लिए अपेक्षित कार्रवाई आज तक नहीं की । आज भी बड़ी दयनीय हालात में ये लोग जीवन गुज़ार रहे हैं । यहां तक कि यहां तक कि 10 में से 8 लोगों को चिकनगुनिया, डेंगू जैसे ख़तरनाक बीमारी ने जकड़ा हुआ है। दंगा पीड़ितों के पास फिलहाल ईंधन के नाम पर मिट्टी का तेल तक नहीं है जिससे वह खाना बना सकें।

मुज़फ्फरनगर और शामली दौरे पर अपनी टीम के साथ पहुंची राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की सदस्य फरीदा अब्दुल्ला ख़ान ने ‘द हिंदू ‘अख़बार से कहा कि जमीन पर ऐसा कुछ दिखाई नहीं दिया जिसका दावा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट ने किया है ।

फरीदा अब्दुल्ला ख़ान के मुताबिक़, एनएचआरसी की रिपोर्ट का दावा था कि क़रीब 30,000 दंगा पीड़ित कैराना क़स्बे में जाकर बस गए हैं और उन्होंने अपनी जगह बदल दी है । तथ्य यह है कि इनमें से ज़्यादातर की संख्या जो हिंदू बहुल इलाक़ों में रहती थी वो दंगे के दौरान कैराना विस्थापित हो गए और इनकी संख्या क़रीब 2000-3000 के बीच थी।

हाल ही में निजी अख़बार को दिए गए इंटरव्यू के दौरान आज़म खान ने दावा किया था कि सपा के राज में मुसलमान सुरक्षित हैं लेकिन अल्पसंख्यक आयोग रिपोर्ट उनके दावो और सपा सरकार की कलई खोलती है।

आज़म ख़ान ने जब यह सवाल किया गया कि आख़िर क्यों यूपी में मुसलमान सपा के साथ जाना चाहेगें जहां पर मुज़फ्फरनगर जैसे दंगे और दादरी जैसी घटना सपा के ही शासन काल में घटित हुई है। इस पर उन्होंने जवाब दिया कि इन तमाम दबाव के बावजूद आज भी उन्हें पूरा विश्वास है कि उनकी सपा, मुसलमानो के बीच ज्यादा लोकप्रिय है।