उसे इशारे मिल रहे हैं कि मर्कज़ी हुकूमत क़ानूनसाज़ अरकान के बारे में मुतनाज़ा आर्डीनैंस से दसतबरदारी इख़तियार करलेगा। कांग्रेस और बी जे पी ने इस मसले पर एक दूसरे पर इल्ज़ाम तराशी का आग़ाज़ कर दिया है। अपोज़ीशन ने कामयाबी का दावा किया जबकि बरसर-ए-इक्तदार पार्टी बी जे पी पर मौक़िफ़ तब्दील करने का इल्ज़ाम आइद कर रही है। बी जे पी की तर्जुमान मिनाक्षी लेखी ने कहा कि ये राहुल गांधी की पहल नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट की राय है।
अवाम और अपोज़िशन का दवा कामयाब होगया है। इस दावे की तरदीद करते हुए मर्कज़ी वज़ीर पारलीमानी उमूर कमल नाथ ने कहा कि इस मसले पर बी जे पी को भी एतिमाद में लिया गया था और बी जे पी ने इत्तिफ़ाक़ किया था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ख़िलाफ़-ए-क़ानून साज़ी की जाये। उन्होंने कहा कि एक और 13 अगस्त को कुल जमाती इजलास तलब किए गए थे और बी जे पी ने इस मसले से निमटने केलिए तमाम इक़दामात बिशमोल दस्तूर में तरमीम की ताईद की थी।
क़ौमी मुशावरती कमेटी राज्य सभा में भी इस मसले पर तबादला-ए-ख़्याल किया गया था और बी जे पी ने इत्तिफ़ाक़ किया था कि इस मसले की यकसूई केलिए क़ानूनसाज़ी की जाये। अरूण जेटली ने कहा कि बी जे पी एस मसले को मजलिस क़ायमा से रुजू किए बगैर क़ानूनसाज़ी की ताईद में नहीं थी। मर्कज़ी काबीना ने कुल जमाती इजलास के बाद ये फैसला किया था। हमें देखना चाहिए कि मुजव्वज़ा काबीनी इजलास में क्या फैसला होता है।
कमल नाथ ने इस अदा-ए-को भी खारिज करदिया कि राहुल गांधी और हुकूमत के दरमियान इस मसले पर तरसील की ख़लीज हाइल है। कांग्रेस के तर्जुमान राशिद अलवी ने कहा कि फैसला मर्कज़ी काबीना ने किया था जो राहुल गांधी के नज़रियात को पेशे नज़र नहीं रखती। क़ाइद अपोज़िशन लोक सभा सुषमा स्वराज ने आर्डीनैंस को गैर दस्तूरी क़रार दिया जबकि साबिक़ सदर बी जे पी वेंकैया नायडू ने कहा कि इस आर्डीनैंस की अख़लाक़ी ज़िम्मेदारी वज़ीर-ए-आज़म और हुकूमत को क़बूल करनी चाहिए। उन्होंने कांग्रेस पर इल्ज़ाम आइद किया कि वो तज़ाद बयानी से काम ले रही है।
कमल नाथ ने बयान देने से पहले पूरी तरह ग़ौर-ओ-ख़ौज़ नहीं किया है। नायाब सदर कांग्रेस ने जो कुछ तबसरा किया है , वो एक नाटक के सिवाए और कुछ नहीं है। कांग्रेस तर्जुमान को बयान देने से पहले अच्छी तरह ग़ौर कर लेना चाहीए था। वेंकैया नायडू ने कहा कि आप केक खालीने के बाद उसे दुबारा हासिल नहीं करसकते। अब वक़्त आगया है कि वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह अपना इस्तीफ़ा पेश करदें कियोंकी एक एसा क़ानून का मुसव्वदा पेश करना और इस से दसतबरदारी इख़तियार करना वज़ीर-ए-आज़म के ओहदे के शायाँ शान नहीं है। अब ये साबित होचुका है कहियो पी ए में भी इख़तिलाफ़ात मौजूद हैं।