मुतनाज़ा कार्टून

लोक सभा में हर रोज़ किसी ना किसी मसला ( समस्या) पर एहतिजाज (वाद विवाद) होता है। अवामी मसाएल (समस्यांओ) पर मुबाहिस (बहसो‍.) के बजाय चंद मुतनाज़ा (जिस बात के लिए वाद विवाद् होना) मौज़ूआत को ऐवान ( परिषद) की गर्मी बढ़ाने के लिए उठाया जाता है।

वज़ीर फ़रोग़ इंसानी वसाएल ने माफ़ी मांगी थी कि दस्तूर हिंद के मुअम्मार बाबा साहब भीम राव अंबेडकर के मुतनाज़ा ( झगड़ा) कार्टून वाली किताब को वापस लिया जाएगा। लेकिन पार्लीमेंट ( संसद) में अरकान ने शोर-ओ-गुल कर के सारा ऐवान (संसद)) सर पे उठा लिया। पार्लीमेंट की कार्यवाइयों को ठप करते हुए क़ीमती वक़्त ज़ाए करना अफ़सोसनाक है, इससे ज़्यादा अफ़सोसनाक ये वाक़्या ( घटना) भी है कि जिस के ज़रीया दलितों को ठेस पहुँनचाई गई और उन की दिल आज़ारी ( दिल को तकलीफ देना) की गई।

अंबेडकर के कार्टून वाली निसाबी किताब की इशाअत ( प्रकाशन) एक मज़मूम ( अश्लील) हरकत है। कार्टून के ज़रीया किसी तबक़ा या फ़िर्क़ा की आला शख़्सियत की तौहीन नहीं की जा सकती। लोक सभा और राज्य सभा में अरकान ने इस मुतनाज़ा कार्टून की जानिब ऐवान ( संसद) की तवज्जा मबज़ूल ( ध्यान आकृष्ट) कराई ये ठीक है, मगर इस मसला ( समस्या)पर हुकूमत और मुताल्लिक़ा वज़ीर की वज़ाहत के बावजूद कार्रवाई में ख़लल ( अड़चन) पैदा करते हुए अरकान ने ऐवान ( संसद) का क़ीमती वक़्त ज़ाय ( बर्बाद) किया।

पार्लीमेंट एतवार ( रविवार) को अपने पहले इजलास की 60 वीं सालगिरा मना रहा है, और इस दिन ख़ुसूसी इजलास भी तलब किया गया है। मगर इस अहम इजलास पर एन सी ई आर टी की तरफ़ से 11वीं जमात के लिए तैयार कर्दा निसाबी किताब में भीम राव अंबेडकर के मुतनाज़ा कार्टून की इशाअत मुअम्मार-ए-दस्तूर हिंद की तौहीन से मुल्क भर में बाबा साहिब का एहतिराम करने वालों को धक्का पहूँचा है।

मर्कज़ी हुकूमत को चाहीए कि 196 में तैयार कदा इस कार्टून की इशाअत को मस्दूद करते हुए आइन्दा किसी ग़लती के एहतिमाल ( शंका) को दूर करे ताकि किसी फ़िर्क़ा की दिल आज़ारी ना होसके,और अरकान-ए-पार्लीमेंट की ज़िम्मेदारी है कि वो किसी मसला को शिद्दत की नज़र करके ऐवान (संसद) का क़ीमती वक़्त ज़ाए और अवामी मसाएल ( समस्या) को नजरअंदाज़ ना करें।