नई दिल्ली, 01 फरवरी: (पी टी आई) हुकूमत ने आज मुतनाज़ा लोक पाल बिल में तरमीम करते हुए उसे रियासतों में लोक आयुक्त के क़ियाम से ग़ैर मरबूत कर दिया और सरकारी ओहदेदार के ख़िलाफ़ मुक़द्दमा चलाने की मंज़ूरी के इख़्तयारात ओम्बडसमैन को मुंतक़िल कर दिए।
मर्कज़ी काबीना ने 16 सिफ़ारिशात के मिनजुमला 14 कुबूल कर लिए जो राज्य सभा मुंतख़ब कमेटी ने पेश किए थे, जिसकी तशकील गुज़श्ता साल मई में सयासी जमातों के माबैन शदीद इख़्तेलाफ़ात के दरमियान हुई थी जिनकी वजह से ये क़ानूनसाज़ी ऐवान-ए-बाला में दिसंबर 2011 से लेत-ओ-लाल में पड़ गई थी।
सरकारी तरामीम को मंज़ूरी इस बिल पर राज्य सभा की जानिब से बजट सेशन के दौरान अज़सर-ए-नौ ग़ौर किए जाने की राह हमवार करती है, जो तवक़्क़ो अवाख़िर फ़रवरी में शुरू होगा। ऐवान-ए-बाला की मंज़ूरी के बाद ये बिल तरामीम ताज़ा मंज़ूरी के लिए लोक सभा से रुजू किया जाएगा जहां उसे पहले ही मंज़ूरी दी जा चुकी है।
ताहम, हुकूमत ने वो सिफ़ारिश कुबूल नहीं की जिसमें किसी मुल्ज़िम पब्लिक सरवेंट को इब्तिदाई इंक्वायरी की शुरूआत से क़बल अपना मौक़िफ़ पेश करने का कोई मौक़ा हासिल नहीं होगा। इसने ये सिफ़ारिश भी कुबूल नहीं की कि किसी केस की तहक़ीक़ात के लिए लोक पाल की जानिब से मुक़र्ररा सी बी आई ओहदेदारों की मुंतक़ली इंसिदाद रिश्वत सतानी इदारा की मंज़ूरी के बगै़र नहीं की जा सकती, और कहा कि इससे सी बी आई के पुरसकून काम काज पर असर पड़ेगा।
हुकूमत की जानिब से मंज़ूरा सिफ़ारिशात में लोक आयुक्त को लोक पाल बिल से ग़ैर मरबूत करने से मुताल्लिक़ सिफ़ारिश शामिल है, जो निहायत मुतनाज़ा गुंजाइशों में से रहा क्योंकि कई पार्टीयों का इस्तिदलाल है कि ये रियासतों के हुक़ूक़ पर मर्कज़ी हुकूमत की मुदाख़िलत के मुतरादिफ़ होता है।
मुंतख़ब कमेटी ने सिफ़ारिश की थी कि रियासती हुकूमतों को लोक पाल के नफ़ाज़ के अंदरून एक साल लोक आयुक्त क़ायम करने होंगे। इस बिल में सी बी आई डायरेक्टर को वज़ीर-ए-आज़म, अपोज़ीशन लीडर लोक सभा और चीफ़ जस्टिस आफ़ इंडिया पर मुश्तमिल तीन रुकनी का लजीम की जानिब से मुक़र्रर करने की गुंजाइश रहेगी।