पेंशन के मुताबले पर 186 इमदाद याफ़्ता मुदर्रिस व संस्कृत स्कूलों के असातिज़ा का मुत्ताहीदा धरना 13वें दिन भी जारी रहा। जिसमें पेश आने वाली हर क़िस्म की परेशानियों से बेनियाज़ अपने हक़ के हसूल के लिए सैकड़ों की तादाद में असातिज़ा धरने पर बैठे हैं। मदरसा संस्कृत स्कूलों के असातिज़ा का तेवर अब कुछ बदला बदला हुआ नज़र आ रहा है। वो काफी गुस्से में भी दिखाई दे रहे हैं। मुक़र्ररीन ने अपनी तक़रीर में कहा के झारखंड में मसायल के अंबार हैं। आवाम में बेचैनी है।
असातिज़ा अपने हक़ के हसूल के लिए लंबे अरसे से धरना पर बैठे हैं और शदीद तकलीफ उठा रहे हैं मगर हुकूमत की कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है। ये इंतेहाई तशवीश नाक है। इस पर संजीदगी से गौर व फिक्र करने की ज़रूरत है। तंजीम के जेनरल सेक्रेटरी हमीद गाजी ने कहा के हम अपने वाजिब और जायज हक़ के लिए सड़क पर आए हैं और हमे यक़ीन है के हमें हमारा हक़ मिल कर रहेगा। हमें फिक्र इस बात किहाई के रियासत की सियासत बे सिम्त हो रही है।
सियासी रहनुमाओं को अवामी मसायल और रियासत की तरक़्क़ी से ज़्यादा अपनी ज़ात की फिक्र है। हर लीडर सिर्फ अपना सियासी क़द बुलंदी करने और बैंक बैलेंस दुरुस्त करने की मगन है। हामिद गाजी ने आगे कहा के मुस्लिम नुमाइंदे एलेक्शन जीतने के बाद अपनी जिम्मा दारियों को यकसां फरामोश कर देते हैं और वो मुस्लिम अक़लियत की उम्मीदों और तौफीकात पर पूरे नहीं उतरते ये बहुत तकलीफ देह और अफसोशनाक बात है। उन्होने बताया के हम लोग एसेम्बली का घेराव भी करेंगे लेकिन धरना गवर्नर हाउस के सामने जारी रहेगा।