मुदससिर कामरान एक ज़हीन और होनहार तालिब-ए-इल्म था

हैदराबाद 06 मार्च: उस्मानिया यूनीवर्सिटी के अहाते में वाक़िये एफ़लू कैंपस में पिछ्ले रोज़ मुश्तबा तौर पर ख़ुदकुशी करने वाले मुदससिर कामरान की शख्सियत के ताल्लुक़ से मुख़्तलिफ़ और मुतज़ाद ख़्यालात पाए जाते हैं ।

एक तरफ़ तहकीकात कर रही पुलिस का बयान इस के किरदार पर बदनामी का मूजिब बन रहा है तो दूसरी तरफ़ मुदससिर कामरान के प्रोफेसर्स उसे ख़ुशअख़लाक़ , ज़हीन और मेहनती होनहार तालिब-ए-इल्म मानते हैं।

प्रोफेसर्स की नज़र में मुदससिर ना सिर्फ़ एक अच्छा तालिब-ए-इल्म बल्के ज़िम्मेदार शहरी भी था लेकिन पुलिस की तहकीकात में इस के बरअक्स ज़ाहिर किया। साल 2008 से मुदससिर कामरान को जानने वाले उसे तालीम देने वाले प्रोफेसर हरीश कुमार ने बताया कि वो उसे काफ़ी अरसे से जानते हैं।

वो बहुत ही अच्छा और होनहार तालिब-ए-इल्म था । बड़ों की इज़्ज़त और उन का लिहाज़ रखता और संजीदगी से तालीम हासिल करता और सख़्त मेहनत करना कामरान की खूबियां थीं लेकिन पिछ्ले एक साल पहले उन्हें मालूम हुआ था कि वो वसीम के साथ एसी हरकतें कर रहा है।

पुलिस की तहकीकात के बाद प्रोफेसर के बदला अचानक मौक़िफ़ और वसीम-ओ-कामरान को तवील अरसे की दोस्ती और वसीम का मंज़रे आम पर ना आना, कई सवालात और उलझनों का बाइस बना हुआ है । बावसूक़ ज़राए के मुताबिक़ वसीम और मुदससिर कामरान पिछ्ले दो साल से ए फ़लू के कैंपस में थे और ये दो तालिब-ए-इल्म इस से पहले भी पुने के एक कैंपस में दो साल साथ रह चुके हैं।

ताहम अचानक एक लंबा अर्सा गुज़रने के बाद कामरान की फ़ित्रत में तबदीली और इस फ़ित्रत से वसीम को नफ़रत किस तरह होगई और आख़िर वो क्या बात थी जिस से कामरान ने ख़ुदकुशी करली । पुलिस का कहना है कि वो दिलबर्दाशता होगया था और इस ने ख़ुदकुशी करली । पुलिस का कहना है कि उस्मानिया यूनीवर्सिटी पुलिस ने उसे किसी किस्म की अज़ियत नहीं पहोनचाई और ना ही इस के साथ मारपीट की। पुलिस ने इल्ज़ामात को मुस्तर्द करदिया।