एक बर्तानवी जज ने अदालत में एक बुर्क़ापोश ख़ातून पुर इसरार किया कि वो अपनी शिनाख़्त साबित करने के लिए चेहरे से निक़ाब हटाए और कहा कि खुले इंसाफ़ का उसूल किसी मज़हब का मौज़ू नहीं होसकता।
जज पीटर मरफ़ी ने कहा कि वो 21 साला लड़की मुद्दई को निक़ाबपोशी की हालत में मुक़द्दमा की समाअत के लिए कठहरे में खड़े होने की इजाज़त नहीं देंगे। जब इसका मुकम्मल चेहरा छिपा रहे और सिर्फ़ आँखें नज़र आसकती हैं क्योंकि उस की हाज़िरी के बहाने कोई दूसरा भी कठहरे में खड़ा हो सकता है।
जज ने कहा कि इस अदालत के लिए ये ज़रूरी है कि वो मुद्दई की शिनाख़्त से मुतमइन होजाए। अगरचे मैं(जज) इस बात का एहतिराम करता हूँ कि वो अदालत से बाहर अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ कोई भी लिबास इख़तियार करे, लेकिन यहां इंसाफ़ के मुफ़ादात मुक़द्दम हैं। बलॉक फ्रायरस कराऊँ कोर्ट में गुज़िशता रोज़ एक मुक़द्दमा की समाअत के दौरान जज मरफ़ी ने कहा कि वो ऐसे किसी शख़्स की दरख़ास्त को क़बूल नहीं कर सकते जिस की यक़ीनी शिनाख्त नहीं होसकी है।
जज मरफ़ी ने कहा कि खुले इंसाफ़ का उसूल किसी दरख़्वासतगुज़ार के मज़हब का पाबंद नहीं हो सकता क्योंकि ऐसी सूरत में किसी के लिए भी ये आसान हो जाएगा कि वो अदालत में हाज़िर होकर ख़ुद के मुद्दई होने का दावा करदें और अदालत के पास भी इस का पता चलाने का कोई रास्ता नहीं रहेगा।
डेली टेलीगराफ़ के मुताबिक़ मशरिक़ी लंदन के हैकन से ताल्लुक़ रखने वाली एक 21 साला मुस्लिम औरत ने जिस की शिनाख़्त चंद क़ानूनी वजूहात की बुनियाद पर ज़ाहिर नहीं की जा रही है, अदालत में कहा था कि वो अपने मज़हब के सबब किसी भी मर्द के रूबरू चेहरे से निक़ाब नहीं हटा सकती। उस पर शुमाली लंदन के फिन्सबरी पार्क में जून के दौरान एक गवाह को डराने धमकाने का इल्ज़ाम आइद है। उसने कहा कि औरतों के आगे चेहरा से निक़ाब हटाना कोई मसला नहीं है लेकिन मर्दों के रूबरू ऐसा नहीं कर सकती।
जज ने ख़ातून पुलिस अफ़्सर के ज़रिये उस औरत की शिनाख़्त और ऐसी चंद दीगर तजावीज़ मुस्तरद कर दिया और इस शर्त पर 12 सितंबर को आइन्दा पेशी मुक़र्रर की कि मुद्दई औरत को चेहरे से निक़ाब हटाकर हाज़िरी देना होगा।