मुफ़लिसी और तवंगरी अल्लाह की तरफ़ से आज़माईश

करीमनगर, १३ (सियासत डिस्ट्रिक्ट न्यूज़) मुस्लमानों को ख़ैर उम्मत कहा गया है और उसे क़ियादत की ज़िम्मेदारी सौंपी गई ही। मुआशरा की इस्लाह करना इस पर फ़र्ज़ है। इस्लाम में मुस्लमानों को हुक़ूक़ उल-ईबाद अदा करने की तरग़ीब दी गई है। नमाज़, रोज़ा, हज-ओ-ज़कात इस का इन्फ़िरादी अमल है, लेकिन इसी के साथ इजतिमाई ज़िंदगी भी है। इन दोनों के दरमयान तवाज़ुन को बरक़रार रखना चाहीये। उम्मत मुस्लिमा एतिदाल की राह अपनाते हुए अक़्वाम आलिम केलिए नमूना पेश करी। इन ख़्यालात का इज़हार जनाब मुहम्मद इक़बाल अली इनजीनियर हैदराबाद ने इदारा ख़ादिमान मिल्लत के ज़ेर-ए-एहतिमाम होटल न्यू यकाक् कान्फ़्रैंस हाल करीमनगर मैं बिलासू दी क़र्ज़ मआ छोटी बचत स्कीम की अमल आवरी के 5 साल की तकमील पर मुनाक़िदा नशिस्त को मुख़ातब करते हुए किया। उन्हों ने कहा कि ग़ुर्बत, अमीरी, मुफ़लिसी और तवंगरी अल्लाह ताला की तरफ़ से आज़माईश है।

दौलत किसी के पास रहने वाली नहीं है। कितने ऐसे हैं जो पहले दौलतमंद थे लेकिन आज वो ख़त ग़ुर्बत से भी नीचे ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं और कितने शख़्स ऐसे थे जो बिलकुल मुफ़लिस थे लेकिन आज दौलतमंदों में इन का शुमार होता है। उन्हों ने कहा कि नेकी वो नहीं है कि आप ने अपना रुख मशरिक़ या मग़रिब की तरफ़ करलिया बल्कि ग़रीबों, मुफ़लिसों, यतीमों, क़राबत दारों और बीमारों की मदद करना नेकी है। आप के पास दौलत अल्लाह ताला की अमानत है। इस का ख़र्च सही होना चाहीये। शरीयत में दौलत ख़र्च करने के भी अहकामात बता दिए गए हैं। उन्हों ने कहा कि इन्फ़ाक़ का मतलब ये हीका तुम्हारे पास ज़रूरत के बाद जो भी बच जाय वो सभी दूसरों को दे दिया जाये। इक़बाल अली अनजीनर ने इंसानी ज़िंदगी के मुख़्तलिफ़ पहलोओं पर रोशनी डालते हुए कहा कि मुस्लमानों पर बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी डाली गई है कि वो दाई बन कर ज़िंदगी गुज़ारी। उन्हों ने इदारा ख़ादिमान मिल्लत की कारकर्दगी की काफ़ी सताइश की और कहा कि 5 साल क़बल महिदूद वसाइल के साथ बलासू दी क़र्ज़ की स्कीम शुरू की गई थी। ताहाल 65 लाख के कारोबार तक पहुंच चुका है।

ये नेक नीयती और ख़ुलूस के साथ काम करने का नतीजा है। इस मौक़ा पर उस की वुसअत के लिए कुछ तजावीज़ पेश किए और अपनी जानिब से ख़ादिमान मिल्लत को दो साल के लिए 10 हज़ार रुपय क़र्ज़-ए-हसना देने का ऐलान किया। इसी तरह कुछ और दीगर हज़रात ने भी एक साल और दो साल के लिए पाँच , दस और 50 हज़ार क़र्ज़-ए-हसना देने का ऐलान किया जबकि शेख़ अबूबकर ख़ालिद ने एक लाख रुपय अतीया देने का ऐलान किया जबकि अबदालमतीन ने 5 हज़ार रुपय अतीया दिया। जलसा का आग़ाज़ हाफ़िज़ मुहम्मद शाह कादरी निज़ामी की तिलावत कलाम पाक से हुआ। इबतिदाई कलिमात मुहम्मद अबदुस्समद नवाब ने कही। उम्र बिन सईद ने बलासू दी क़र्ज़ की तफ़सीलात पेश की। मिर्ज़ा अमजद अली बेग ने ख़ादिमान मिल्लत की कारकर्दगी पर रोशनी डाली। हाफ़िज़ मौलाना अलीम उद्दीन निज़ामी, शेख़ अबूबकर ख़ालिद, ज़हूर ख़ालिद, सय्यद क़मर उद्दीन अहमद, डाक्टर सय्यद शौकत इमाम अली वग़ैरा ने भी ख़िताब करते हुए मुख़्तलिफ़ तजावीज़ पेश की। जनाब अबदुस्समद सदर ख़ादिमान मिल्लत ने शुक्रिया अदा किया और हाफ़िज़ मौलाना अलीम उद्दीन निज़ामी की दुआ पर जलसा का इख़तताम अमल में आया