मुफ्ती इश्तियाक हुसैन कादरी ने इस्लामी इदारो से खिताब करते हुए कहा, ‘हम मुसलमानों से गुजारिश करतें हैं कि वे मुबय्यना तौर पर सेक्युलर पार्टी को वोट न दें और अपनी नाराजगी का इजहार करने के लिए सभी सियासी पार्टियों के खिलाफ ‘नोटा’ आप्शन ( option) का इस्तेमाल करें।’ वह बरेलवी फिर्के के ‘आल इंडिया तंजीम उलेमा-ए-इस्लामी’ से खिताब कर रहे थे।
इसमें रामपुर के मनान राज खान शाह फरहत अहमद जमाली, दारुल उलूम रायपुर के मौलाना अकबर अली फारूक और उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, राजस्थान और मगरिबी बंगाल से ज़्यादा तादाद में मजहबी लीडर शामिल थे।
मुफ्ती इश्तियाक ने कहा कि कांग्रेस के कई दहों के इक्तेदार के बावजूद मुसलमान अब भी सामाजी, इक्तेसादी और तालीमी तौर पर पिछड़े हैं। बीजेपी ने भी मुसलमानों को अलग-थलग करने की पालिसी की शुरुआत की। इसलिए मुसलमानों के पास कोई और आप्शन/ इख्तेयारात नहीं है। हिंदुस्तान का सबसे बड़ा अक्लियती तब्के (Minority community) होते हुए भी मुसलमान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन या वोटींग में सबको खारिज करते हुए नोटा (नन ऑफ एवब) चुनेंगे। इससे यह पैगाम जाएगा कि मुसलमानों को कोई हल्के में नहीं ले सकता। अक्लियतों के हाथ में नोटा सबसे अच्छा हथियार है। हमें हर हाल में इसका इस्तेमाल करना चाहिए।
मौलाना मजहर अली कादरी ने कहा कि अक्लियतों को कांग्रेस के इक्तेदार में भी बहुत ज़्यादा तकलीफ उठानी पड़ी।