जम्मू कश्मीर में भाजपा-पीडीपी इत्तेहाद की हुकूमत ने मुस्लिम यूनियन के सरबराह और हुर्रियत के सीनियर लीडर मसरत आलम को रिहा कर दिया है। मसरत आलम 2010 से जेल में बंद थे।
आपको बता दें कि, 4 महीने के तवील मुहिम के बाद उनके ठिकाने की इत्तेला के लिए 10 लाख रूपए के ईनाम का ऐलान करने के बाद मसरत को श्रीनगर के बाहरी इलाके से रियासत की पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
मसरत पर इल्ज़ाम था कि इन्होंने 2010 में एंटी इंडिया तहरीक चलाया था जिसमें 112 लोगों की पथराव में मौत हो गई थी। रियासत के महकमा दाखिला के ज़राये ने बात की तस्दीक करते हुए बताया था कि उनको बारमूला जेल से रिहा करने का अमल शुरू कर दिया था । कश्मीर के पुलिस डायरेक्टर जनरल राजेन्द्र ने कहा था कि सियासी कैदियों की रिहाई पर रियासत की हुकूमत की हिदायत पर तामील किया जाएगा।
इस ताल्लुक में ज़राये का कहना है कि चीफ होम सेक्रेटरी सुरेश कुमार ने सिविल सचिवालय में उनके ऑफिस का दौरा किया क्योंकि हफ्ता और इतवार को ऑफिस बंद रहते इसलिए वह हफ्ते के पांच दिन में कामकाज निपटाना चाहते हैं। 42 साला मसरत अकेले सियासी कैदी हैं जो जेल में बंद है।
गुजश्ता 4 चार साल से पब्लिक सेक्युरिटी कानून के तहत उन पर निगरानी रखी जा रही है जिसके तहत उनके उपर किसी तरह का मुजरिमाना इल्ज़ाम नहीं पाया गया। 42 साला मसरत साइंस से ग्रेजुएट है। मुस्लिम लीग के सरबराह को एलओसी के दोनों ओर से मुनासिब सपोर्ट है। वह सैयद अली शाह गिलानी के जानशीन के तौर पर पर देखे जाते हैं। बता दें, भाजपा कह रही है कि उसने रिहाई का एहतिजाज किया है।
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