मुरझाई हुई जिल्द के लिए

मौसिम-ए-गर्मा में उमूमन आधी आसतीन की क़मीज़ें पहनी जाती हैं । नतीजतन धूप की शिद्दत से बाज़ू , कोहनीयाँ स्याह पड़ जाते हैं जो देखने में नागवार लगते हैं (चेहरा खुला होने के बाइस रंग का स्याह होना भी आम है) इसके लिए हम आपको ऐसी तरकीब बता रहे हैं जिस पर अमल पैरा हो कर आप अपने चेहरे और बाजुओं को बदरंग होने से बचा सकते हैं ।

नींबू का रस निकाल लें और छिलकों को कोहनी और बाजुओं पर मलें । चंद क़तरे रस चेहरे पर भी लगा लें और हल्का सा मसाज करें । चंद ही दिनों के अमल से आप झुलसी हुई जिल्द को दुबारा असल हालत में पाएंगे । इसके इलावा धूप में सांवले हिस्से पर कुचले हुए केले मलें ।

कुछ देर बाद पानी से धोलें । निखरी रंगत के हुसूल के लिए ये एक मुजर्रिब नुस्ख़ा है । रंगत की ताज़गी-ओ-शादाबी के लिए उबटन को कच्चे दूध में मिला कर पेस्ट बनाए और चेहरे पर आधे घंटे तक लगा रहने दें । चंद ही दिनों में चेहरा गुलाब की तरह खिल जाएगा ।