पूरी दुनिया के इस्लाम पसंदों ने मिस्र के पहले आज़ादाना इंतिख़ाब (चुनाव) में मुहम्मद मुर्सी की जीत को अपने काज़ की फ़तह क़रार दिया है जबकि मग़रिब (पश्चिम), ख़लीजी (खाड़ी) मुमलकतों (देशों) और उन के सयासी (राजनीतिक) एजंडे से फ़िक्रमंद इसराईल ने अपने रद्द-ए-अमल के इज़हारमें एहतियात बरती है।
इख़वान उल मुस्लिमीन के उम्मीदवार के साबिक़ फ़ौजी जनरल अहमद शफ़ीक़ के साथ मुक़ाबले पर ग़ज़ा से लेकर ख़लीज तक हर किसी की नज़र लगी हुई थी। इस जीत को तारीख़ी वाक़िया समझा जा रहा है जिस के मिस्र की सरहदों से बाहर भी नताइज बरामद होंगे। ग़ज़ा में हम्मास के तर्जुमान फ़ौज़ी बरहौम ने कहा मिस्री क़ौम ने सिर्फ मिस्र के लिए ही सदर नहीं चुना ,बल्कि ये इंतिख़ाब (चुनाव) अरब और इस्लामी ममालिक (देशों) के लिए भी है।
पिछले एक साल से जो बहार अरब आई है जिस में अवामी बग़ावत के ज़रीया त्युनस , लीबिया, यमन और मिस्र में हुकूमतों का तख़्ता पलट दिया गया , अगर इस के नज़रिया से देखें तो इस्लाम पसंद कहते हैं कि मुर्सी की जीत इस बात का सबूत है कि इन का इन्क़िलाब आगे बढ़ रहा है।