मुलक की हर दिल अज़ीज़ शख़्सियत ए पी जे अब्दुल कलम का इंतेक़ाल

शीलाइंग 28 जुलाई साबिक़ सदर जमहूरीया ए पी जे अब्दुल कलम मीज़ाईल मियान जो अवाम के सदर की हैसियत से मशहूर हुए , क़लब पर ज़बरदस्त हमले की वजह से इंतेक़ाल करगए।

वो आई आई एम शीलाइंग में लकचर दे रहे थे जबकि 6:30 बजे शाम उनके क़लब पर हमला हुआ और वो नीचे गिर पड़े।अब्दुल कलम अक्टूबर में 84 साल के होने वाले थे। उन्हें आई सी यू बेथानी हॉस्पिटल नाज़ुक हालत में मुंतक़िल कियागया जहां दो घंटे बाद उन्होंने आख़िरी सांस ली।

इंडियन इंस्टीटियूट आफ़ मैनेजमेंट 5:40 बजे शाम पहूंचने के बाद उन्होंने कुछ देर आराम किया और 6:25 बजे काबुल रिहायश स्यारा के ज़ेर-ए-उनवान अपने लेक्चर का आग़ाज़ क्या।

वो पाँच मिनट बाद ही नीचे गिर पड़े। डायरेक्टर आई आई एम शीलाइंग के बमूजब प्रोफेसर अब्दुल कलम ने अपने ट्विटर पर तहरीर किया था कि काबुल रिहायश सय्यारे के मौज़ू पर लेक्चर देने के लिए शीलाइंग जा रहा हूँ , उन्हें 7:00 बजे शाम बेथानी हॉस्पिटल में शरीक किया गया जो इंस्टीटियूट से एक कीलोमीटर के फ़ासले पर है।

डायरेक्टर ने कहा कि अस्पताल के ओहदेदारों ने उन्हें कहा कि अब्दुल कलम क़लब पर हमले की वजह से इंतेक़ाल करगए। उनकी लाश फ़ौजी हॉस्पिटल मुंतक़िल की गई और बादअज़ां एयरफ़ोर्स के हेलीकाप्टर के ज़रीये 5:30 बजे सुबह गोहाटी मुंतक़िल की जाएगी और वहां से ख़ुसूसी तैयारे के ज़रीये दिल्ली रवाना की जाएगी।

उन्हें मक़बूल तरीन सदर समझा जाता था। अब्दुल कलम ग्यारहवीं सदर-ए-ममलकत थे और 2002 से 2007 तक ओहदे पर फ़ाइज़ रहे लेकिन दूसरी मीयाद के लिए इत्तेफ़ाक़ राय ना होने की वजह से उन्हें सियासत की सख़्त और शोरिश ज़दा पहलू का एहसास हुआ। मेघालय के गवर्नर ख़बर सुनते ही अस्पताल पहूंच गए थे। उन्होंने कहा कि साबिक़ सदर का इंतेक़ाल 7:45 बजे हुआ , हालाँकि डाक्टरों की टीम ने अपनी बेहतरीन कोशिशें की थीं लेकिन उन्हें बचाया ना जा सका।