मर्कज़ी हुकूमत के ख़िलाफ़ आग उगलने वाले समाजवादी पार्टी के सरबराह मुलायम सिंह यादव ने कहा कि मुत्तहदा तरक़्क़ी पसंद इत्तिहाद से हिमायत वापिस लेने की उन की फ़िलहाल कोई मंसूबा नहीं है। वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने एक दिन पहले ही इस बात का इमकान जताएय था।
यादव ने कहा, ताल्लुक़ात में कड़वाहट नहीं आई है। मुझे नहीं पता कि वज़ीर-ए-आज़म ने किस बुनियाद पर ये तबसरा किया। फ़िलहाल हिमायत वापसी पर पार्टी के अंदर कोई बात नहीं हुई है। अभी एस पी की क़ियादत वाली यूपी ए हुकूमत से हिमायत वापिस लेने का कोई सवाल नहीं है।
उन्होंने कहा, अब हिमायत वापिस लेकर हुकूमत क्यों गिराए जब सिर्फ़ आठ – नौ माह की बात है। मुलाइम के बयान जुमेरात को वज़ीर-ए-आज़म की तरफ़ से एस पी की क़ियादत वाली यूपी ए हुकूमत से हिमायत वापिस लेने का इमकान क़बूल करने के पस-ए-मंज़र में अहम है।
वज़ीर-ए-आज़म के बयान पर रद्द-ए-अमल ज़ाहिर करते हुए बी जे पी ने दावे किया था कि मिड टर्म इंतेख़ाबात लाज़िमी हो गया है क्योंकि हुकूमत के पास ज़रूरी तादाद नहीं है जबकि जे डी यू के सरबराह शरद यादव को नहीं लगता कि मुलाइम हिमायत वापिस लेंगे.इस दौरान समाजवादी पार्टी के सरबराह मुलाइम सिंह यादव अगरचे वज़ीर-ए-आज़म बनने की अपनी हवस का इशारा देते महसूस हुए क्योंकि उन्होंने उत्तरप्रदेश में अपनी पार्टी की हुकूमत के मुक़ाबले गुजरात में नरेंद्र मोदी की हुकूमत समेत दूसरी रियास्तों की हुकूमतों से की।
उन्होंने समाजवादी पार्टी हुक्मरानी उत्तरप्रदेश में अमल तरक़्क़ीयाती स्कीमों को दर्ज करते हुए कहा, क्या ऐसी स्कीमों गुजरात में अमल हो रही हैं। इतनी ज़्यादा आबादी वाले उत्तरप्रदेश में कितना काम हो रहा है लेकिन तमाम की आँखें बंद हैं।
उन्होंने कहा, तीसरा महाज़ अजाए गा। महाज़ मुल्क की सूरत-ए-हाल के मुताबिक़ सामने आते हैं। साल 2014 के बाद वज़ीर-ए-आज़म तीसरे महाज़ का होगा।
ये पूछे जाने पर क्या वो मोर्चे की क़ियादत करेंगे, उन्होंने कहा, ये बाद में देखा जाएगा। ये पूछे जाने पर कि क्या वो वज़ीर-ए-आज़म बनना चाहते हैं, उन्होंने कहा, मैंने कभी भी वज़ीर-ए-आज़म बनने के बारे में नहीं सोचा और ना ही में अभी सोच रहा हूँ।
यादव की पार्टी मर्कज़ी हुकूमत को बाहर से हिमायत दे रही है, उन्होंने 2 जी मामले की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि कांग्रेस उनके साथ धोका करती है जो उसकी हिमायत करता है।