देवबंद, 01 मार्च: चार साल कब्ल कल्याण सिंह को समाजवादी पार्टी में शामिल कर मुसलमानों की नाराजगी झेल चुके सपा चीफ को बीजेपी से दूरियां घटाने वाला बयान मुश्किल में डाल सकता है। मुलायम सिंह यादव के बयान से खफा उलेमाओं ने कहा है कि मुलायम ने धोखा देने की कोशिश की तो मुसलमानों को अलग रास्ता इख्तेयार करना पड़ेगा।
2009 के लोकसभा इलेक्शन में कल्याण सिंह को सपा में शामिल कर मुलायम को मुसलमानों की नाराजगी झेलनी पड़ी थी। 2012 में मुसलमानों के बलबूते ही समाजवादी पार्टी रियासत में हुकुमत बना सकी। अब मुलायम सिंह यादव के बीजेपी से दोस्ती वाले बयान से देवबंदी उलेमा एक बार फिर से खफा नजर आ रहे हैं।
मौलाना नदीमुलवाजदी ने मुलायम के बयान पर कहा कि अगर बीजेपी का नजरिया बदल जाए तो क्या मुलायम सिंह नरेंद्र मोदी को माफ कर देंगे? अयोध्या में दोबारा बाबरी मस्जिद बन जाएगी?
दारुल उलूम वक्फ के सीनीयर उस्ताद मुफ्ती आरिफ कासमी ने कहा कि बीजेपी आरएसएस की शाख है और अगर मुलायम सिंह यादव सियासी फायदे के लिए यह कदम उठाएंगे तो मुसलमानों को अलग रास्ता इख्तियार करना पड़ेगा।
मदरसा जामिया इमाम मोहम्मद अनवर शाह के मुफ्ती अरशद फारुखी ने कहा कि यह सियासी फायदा उठाने वाला मामला है, क्योंकि मुलायम सिंह की नजर वज़ीर ए आज़म की कुर्सी पर है।
दारुल उलूम फारुखिया के मोहतमिम मौलाना नूरुलहुदा कासमी ने कहा कि अगर कोई पार्टी ईमानदारी से नजरिया बदले तो हाथ मिलाने में कोई गुरेज नहीं है क्योंकि हर शक्स का अपना अलग नजरिया होता है।
गौरतलब है कि मुलायम ने बुध के दिन पार्लियामेंट में दो टूक कहा था कि अगर बीजेपी कश्मीर और मंदिर-मस्जिद मुद्दे पर नज़रिया बदल दे तो उससे दोस्ती करने में गुरेज नहीं होगा।
उन्होंने कहा था कि कई अहम मसलों पर बीजेपी का नजरिया ‘समाजवादी’ जैसा है। सिर्फ मुसलमानों के तरफ से बीजेपी का नजरिया ही दोनों पार्टियों के बीच दूरी का सबब है। बीजेपी इसे बदलती है तो सियासी दूरियां कम हो सकती हैं।
लोकसभा में सदर जम्हूरिया के तकरीर पर मुलायम ने कहा था उनकी पार्टी मजबूरी में कांग्रेस की ताइद कर रही है। कश्मीर, मंदिर-मस्जिद और मुसलमानों की तरफ बीजेपी सोच व नज़रिया बदले तो सपा एक कदम आगे बढ़कर हाथ मिलाने में गुरेज़ नहीं करेगी।
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