मुलाज़िमीन काम पर नहीं लौटे तो होगी बरखास्तगी

रियासती हुकूमत ने मुलाज़िमीन की हड़ताल को संजीदगी से लिया है। मुतल्लिक़ महकमा ने डीसी और मुतलका अफसरों को इस सिलसिले में हुक्म भेज कर वाजेह कर दिया है कि अगर 29 जनवरी तक मुलाज़िमीन काम पर नहीं लौटेंगे, तो उन्हें बरखास्त कर दिया जायेगा।

इसके पहले हुकूमत ने ‘नो वर्क, नो पे’ का हुक्म जारी किया था। सारे डीसी से कहा गया था कि हड़ताली मुलाज़िमीन को निशान देही कर लें और नो वर्क, नो पे लागू करें, लेकिन मुलाज़िमीन पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है।

अनुसचिव मुलाज़िमीन की हड़ताल की वजह रियासत के 24 जिला हेड क्वार्टर और 259 ब्लॉकों और अंचलों में एक हफ्ताह से कामकाज पूरी तरह ठप है। झारखंड रियासत अनुसचि मुलजिम यूनियन के बैनर तले करीब छह हजार मुलाज़िमीन 21 जनवरी से ही हड़ताल पर हैं। इसका असर सरकारी कामकाज पर बुरी तरह पड़ा है

सैकड़ों लोगों को ब्लॉक दफ्तर और समाहरणालय से खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, ट्रेजरी में भी काम ठप हो गया है। हड़ताल की वजह से कहीं भी दाखिल-खारिज से लेकर आय, आवासीय, जाति, पैदाइश सेर्टिफिकेट नहीं बन रहे हैं। स्कॉलरशिप से मुतल्लिक़ काम नहीं हो रहे हैं। प्रज्ञा केंद्र से दरख्वास्त समाहरणालय में आकर तौविल हो जा रहे हैं। मंसूबों का अमल भी मुतासीर है, क्योंकि इससे मुतल्लिक़ फाइलें एक ही जगह पड़ी हुई हैं। कभी-कभार अफसर ऑफिस आते हैं, लेकिन बिना फाइल निबटाये वापस चले जा रहे हैं।

रियासत भर में समाहरणालय, एसडीओ दफ्तर, ब्लॉक और अंचलों में मुलाज़िमीन हड़ताल पर हैं। कोई काम नहीं हो रहा। इनकी तंख्वाह पहले से ही 30-40 तंख्वाह पाते हैं। सहूलत अलग है। कुछ मुलाज़िमीन को छोड़ दें तो बाकी मुलाज़िम बिना पैसा लिये काम नहीं करते हैं। घूस लेते हैं पर पकड़ाते भी नहीं। दर्द देखना है तो प्राइवेट अदारों में जायें।

चार-पांच हजार में लोग खट रहे हैं लेकिन इन सरकारी बाबुओं को और पैसा चाहिए। 10 बजे की जगह 11 बजे दफ्तर जायेंगे, दो घंटे काम करेंगे, फिर खाने निकल जायेंगे। दो घंटे बाद आयेंगे, फिर काम करेंगे। पांच बजे के पहले घर निकल जायेंगे। इसके बावजूद कहते हैं कि पैसा बढ़ाओ, सहूलत बढ़ाओ,अलोवेंस बढ़ाओ। हुकूमत कार्रवाई नहीं करती। उसमें हिम्मत नहीं है।