नई दिल्ली । 4 । अप्रैल (पी टी आई) वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने आज कहा कि हिन्दुस्तानी मईशत को आरिज़ी इन्हितात का सामना है और हुकूमत की फैसला कुन और तेज़ रफ़्तार कार्रवाई के नतीजा में शरह तरक़्क़ी 8 फ़ीसद बहाल होसकती है। शरे तरक़्क़ी के गुज़िश्ता 10 साल की अक़ल्ल तरीन सतह पर पहुंच जाने और 5 फ़ीसद होजाने को उन्होंने आलमी मआशी बोहरान का नतीजे क़रार देते हुए कहा कि अगर मईशत की भरपूर सलाहियत से कारकर्दगी चाहते हैं तो अंदरून-ए-मुल्क रुकावटें दूर करनी होंगी।
उन्होंने कहा कि शरह तरक़्क़ी 5 फ़ीसद होजाना वाज़िह तौर पर मायूस कुन है लेकिन ये मुस्तक़िल इन्हितात नहीं है । तवील मुद्दती बुनियाद पर तरक़्क़ी की काबिलियत मौजूद है। उन्होंने कहा कि हम दुबारा 8 फ़ीसद शरह तरक़्क़ी हासिल करसकते हैं लेकिन इस के लिए तेज़ रफ़्तार और फैसला कुन कार्रवाई हुकूमत की जानिब से करना ज़रूरी होगी।
2012-13 में मुल्क के बरामदात कमज़ोर होगए और करंट अकाउनट ख़सारे में आलमी अनासिर की वजह से इज़ाफ़ा होगया। उन्होंने कहा कि हम आलमी मआशी बोहरान के सिलसिले में कुछ नहीं करसकते और आलमी हालात के मामूल पर आने का भी इंतेज़ार नहीं करसकते।
हमें भरपूर ताक़त के साथ कार्रवाई करते हुए अंदरून-ए-मुल्क पैदा होने वाली मुश्किलात दूर करना होगा । उन्होंने कहा कि बुलंद मालीयाती ख़सारा नाक़ाबिल-ए-क़बूल है। हम पुख़्ता इरादा किए हुए है कि मुक़र्ररा माली ख़सारा का निशाना हासिल करने केलिए हर मुम्किन कोशिश करेंगे।
लायेहा-ए-अमल के मुताबिक़ हुकूमत का मक़सद माली ख़सारे में तीन फ़ीसद कमी करना है। उन्होंने कहा कि वो हिन्दुस्तान के शोबा सनअत पर ज़ोर देना चाहते हैं कि वो हुकूमत के पुख़्ता अह्द पर यक़ीन रखें और मनफ़ी रुजहान के ज़ेर असर ना आएं। उन्होंने कहा कि हुकूमत गैर मुल्की सरमाया की आमद मुस्तहकम रखने और बड़े पैमाना की मईशत का तवाज़ुन बहाल करने केलिए हर मुम्किन कोशिश करेगी।
उन्होंने कहा कि करप्शन एक मसला है, दफ़्तरी तहर्रुक एक और मसला है। मख़लूत हुकूमत चलाना आसान नहीं लेकिन ये तमाम मसाइल अचानक नहीं उभरे। ये मसाइल उस वक़्त भी मौजूद थे जब शरह तरक़्क़ी 8 फ़ीसद थी। उन्होंने कहा कि काबीनी कमेटी बराए सरमायाकारी दिसम्बर 2012 में तशकील दी गई और इस ने बड़े पैमाने के प्रोजेक्टस की मंज़ूरी देते हुए नुमायां पेशरफ़्त की।
ये प्रोजेक्टस तवील मुद्दत से ज़ेर अलतवा थे। पैट्रोलीयम के शोबा के बारे में उन्होंने कहा कि 20 बिलियन अमेरीकी डालर मालीयाती सरमायाकारी की तलाश जारी है और 40 तेल में पैदावारी सरगर्मी सयान्ती मंज़ूरी केलिए कई साल से ज़ेर अलतवा है। उन्होंने कहा कि बिज़नस के शोबा जहां 2007 में गैर ज़रूरी हद तक पर उम्मीद था, अब इसका रुजहान गैर ज़रूरी तौर पर नाउम्मीदी का होगया है। शरह तरक़्क़ी हासिल करने केलिए इस रुजहान को बदलना ज़रूरी है।