मुल्क की आला अदालतों में तहफ़्फुज़ात की ज़रूरत

जस्टिस के रामा स्वामी साबिक़ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि हिंदुस्तान में आला अदालतों में एस सी, एस टी, ओ बी सी अक़लीयती और ख़्वातीन तहफ़्फुज़ात की ज़रूरत है। आला अदालतों में तहफ़्फुज़ात की ज़रूरत पर दो रोज़ा सेमीनार से बहैसीयत मेहमाने ख़ुसूसी ख़िताब करते हुए जस्टिस के रामा स्वामी ने इन ख़्यालात का इज़हार किया। उन्हों ने कहा कि ये तहफ़्फुज़ात दस्तूरी हक़ है ना कि किसी की भीक।

उन्हों ने कहा कि आज़ादी के 67 साल बाद भी आला अदालतों में तहफ़्फुज़ात फ़राहम नहीं किए गए जबकि बाशमोल पार्लीमानी कमेटी, कीदावन्डा कमेटी, नेशनल एस सी कमीशन, नेशनल वीमन कमीशन, नेशनल बी सी कमीशन ने आला अदालतों में तहफ़्फुज़ात की सिफ़ारिश कर चुके हैं।

14वीं लॉ कमीशन रिपोर्ट में भी आला अदालतों में एस सी, एस टी, ओ बी सी अक़लीयतों की नुमाइंदगी की सिफ़ारिश की गई है। डॉक्टर जी विनोद कुमार प्रिंसिपल और डायरेक्टर पी जी कॉलेज ऑफ़ लॉ ने कहा कि ए पी हाइकोर्ट में मौजूदा तौर पर 22 जजेस का ताल्लुक़ आला ज़ात से है।

उन्हों ने इस अमर को तन्क़ीद का निशाना बनाया कि सिवाए अदालती निज़ाम के तमाम मह्कमाजात में क़ानून हक़ मालूमात पर अमल आवरी हो रही है। इस मौक़ा पर नितीन मशीरम सीनियर एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट, प्रोफ़ेसर वाई एफ़ जिया कुमार डीन फ़ैकल्टी ऑफ़ लॉ तहतानीया यूनीवर्सिटी हैदराबाद ने भी ख़िताब किया।