लोक सभा में आज बढ़ती हुई क़ीमतों के मुआमला पर हुकूमत को शदीद तन्क़ीद का सामना करना पड़ा, जहां बाएं बाज़ू की जमातें ये मुतालिबा कर रही हैं कि तमाम सयासी जमातों और वुज़राए आला की कान्फ्रेंस मुनाक़िद की जाए ताकि महंगाई और अश्या-ए-ज़रुरीया की बढ़ती हुई क़ीमतों पर क़ाबू पाने के लिए मोअस्सर इक़दामात किए जा सकें।
वक़्फ़ा सिफ़र के दौरान इस मुआमला को उठाते हुए सी पी आई (एम) क़ाइद बासू देव आचार्य ने हुकूमत पर क़ीमतों पर क़ाबू पाने में नाकामी का इल्ज़ाम आइद किया जबकि वज़ीर-ए-आज़म और वज़ीर मालियात ने क़ीमतों में कमी होने की एक दो बार नहीं बल्कि कई बार तमानीयत दी थी। मिस्टर बासू देव आचार्य ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि वज़ीर-ए-आज़म की तमानीयत के बावजूद इफ़रात-ए-ज़र दो हिन्दसी हो चुकी है, जिससे अवाम का एक बड़ा तबक़ा अपनी रोज़ी रोटी कमाने के मौक़िफ़ में नहीं है।
मुल्क की आबादी का एक चौथाई हिस्सा ऐसा है जो ख़ाली पेट सो जाता है। मिस्टर आचार्य ने मज़ीद कहा कि अश्या-ए-ज़रुरीया और अनाज के शोबा में बड़ी बड़ी कंपनीयों को तिजारत करने की एजाज़ देने की ग़लत पालिसी ही दरअसल क़ीमतों में बेतहाशा इज़ाफ़ा की वजह है लिहाज़ा हुकूमत का ये अव्वलीन फ़र्ज़ होना चाहीए कि वो बढ़ती हुई क़ीमतों पर नज़र रखे और सिर्फ नज़र ही नहीं बल्कि उन पर क़ाबू रखना वक़्त की अहम ज़रूरत है।
तेलंगाना से नारेबाज़ी करने वाले कांग्रेसियों को हदफ़ तन्क़ीद बनाते हुए उन्होंने कहा कि हुकूमत अपने पार्टी अरकान पर ही क़ाबू नहीं पा सकती तो फिर क़ीमतों पर क़ाबू कैसे पाया जा सकता है। इन सब बातों से हुकूमत की ना अहली का सुबूत मिलता है। उन्होंने कहा कि हुकूमत ग़ीर मोअस्सर, ग़ैर हस्सास और नाअहल हो चुकी है क्योंकि इस मुआमला पर पार्लीमेंट में जो क़रारदाद मुत्तफ़िक़ा तौर पर मंज़ूर हुई थी, इस पर अमल आवरी नहीं की जा रही है।
गुज़शता साल दोनों ऐवानों में इस क़रारदाद को मंज़ूर करते हुए हुकूमत को इस बात का पाबंद बनाया गया था कि वो क़ीमतों को क़ाबू में रखे।