आज हाइकोर्ट ने इंतिहाई तारीख़ी फैसला के ज़रीया ओक़ाफ़ी जायदाद के ज़बरदस्त मुक़द्दमा का फैसला सुनाया । ये जायदाद दरगाह हुसैन शाह वली (र) की ओक़ाफ़ी जायदाद है जो जुमला 1652 एकड़ पर मुश्तमिल है । सब से पहले तेलगू देशम के ज़माने में तक़रीबा 500 एकड़ ज़मीन फ़रोख़त की गई और इस ज़मीन पर आई एस बी , अम्मार और इंफोसिस क़ायम किए गए ।
कांग्रेस के इक़तिदार पुराने के बाद उसकी तबाही-ओ-लूट का सिलसिला जारी है और मुस्लमानों की पच्चास हज़ार करोड़ की जायदाद को दो सौ करोड़ की निहायत अर्ज़ां कीमत पर कांग्रेस सरकार ने पार्टी विजए वाड़ा एम पी लगड़ा पार्टी राजगोपाल के हवाले कर दिया , उस वक़्त वज़ीर औक़ाफ़ जनाब शब्बीर अली थे और श्रीमती छाया रतन आई ए एस प्रिंसिपल सिक्रेटरी बराए औक़ाफ़ थीं और इस इमानदार अफ़्सर ने सब से पहले इस फ़राड के ख़िलाफ़ क़लम उठाया और साफ़ अलफ़ाज़ में कहा कि ये ओक़ाफ़ी जायदाद है उसे फ़रोख़त नहीं किया जा सकता ,
तो सज़ा के तौर पर इस इमानदार अफ़्सर का आनन फ़ानन तबादला किया गया ताकि राजगोपाल के मुस्तफ़ीद होने की राह हमवार की जाय । हर इमानदार अफ़्सर को महिकमा अकलियती बहबूद से हटाने का लामतनाही सिलसिला शुरू हुआ जो अब भी जारी है और उसकी हालिया मिसाल मुहम्मद अली रिफ़अत का तबादला है । ओक़ाफ़ी जायदाद के क़ाबिज़ राजगोपाल के सयासी दबदबा का इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है जबकि वज़ीर औक़ाफ़ के घर पर हुई मुतवल्लियों की एक दावत में ये ख़ुद शख़्सी तौर पर मौजूद था ।
उनकी मौजूदगी में वज़ीर औक़ाफ़ की तरफ़ से सारे मुतवल्लियों को हिदायत दी गई कि वक़्फ़ बोर्ड के इलेक्शन में किन के हक़ में कैसे वोट डाला जाय । ये जायदाद अगर वक़्फ़ नहीं थी तो राजगोपाल इस इजतिमा में क्यों मौजूद था । इस वाक़िया के बाद में ( महबूब आलम ख़ां ) और जनाब मसक़ती , मेरे दोस्त ने मिल कर ओक़ाफ़ी ट्रब्यूनल में OS 99/07 मुक़द्दमा दायर किए । इस मुक़द्दमा के ख़िलाफ़ राजगोपाल हाइकोर्ट से रुजू हुआ और इस के बाद हुकूमत की तरफ़ से राज गोपाल की ज़बरदस्त हिमायत का सिलसिला शुरू हुआ ।
हुकूमत ने ख़ुद अपने जी ओ के ख़िलाफ़ हाइकोर्ट में रिट पिटीशन दायर की , ये बावर कराते हुए कि ये जायदाद जो वक़्फ़ बोर्ड की तरफ़ से ओक़ाफ़ी जायदादों में बताई गई वो ग़लत है और ये हुकूमत ही थी जो हर लम्हा मुस्लमानों की हमदर्दी का डंका बजाया करती है । आज के इस अहम फैसला में हाईकोर्ट ने ओक़ाफ़ी जायदादों की फ़हरिस्त जिस को दरुस्त किया गया था
और जिस के ज़रीया इस जायदाद को ओक़ाफ़ी जायदाद बताया गया था और हुकूमत ने राज गोपाल की मदद करने की ख़ातिर रिट पिटीशन अदालत में पेश किया था तो ख़ुद अपने हुक्म के ज़रीया इस रिट को ख़ारिज कर दिया और ओक़ाफ़ी जायदादों की फ़हरिस्त को सहीह बताया और मुक़द्दमा को वापिस ट्रब्यूनल के हवाला कर दिया गया जहां अब हमारा मुक़द्दमा OS 99/07 फिर से शुरू होगा ।
अदालत के हुक्म के मुताल्लिक़ राजगोपाल की यकतरफ़ा कार्रवाई को रोकने सुप्रीम कोर्ट से Caveat के ज़रीया रुजू होने की कार्रवाई शुरू होने जा रही है । इस अहम कामयाबी के लिए सारे मुस्लमान भाई और बहनों को मुबारकबाद देता हूँ । इन्शाअल्लाह हम सुप्रीम कोर्ट तक पैरवी करेंगे और अल्लाह से उम्मीद है कि फ़तह हमारी होगी ।
आख़िर में इन ज़िम्मा दारान-ओ-ख़ातियों पर अल्लाह की लानत हो जो ओक़ाफ़ी जायदादों के ख़िलाफ़ साज़िश करते हैं और क़ाबेज़ीन की मदद करते हैं ।