मुल्क की मईशत (अर्थ व्यवस्था) खराब‌, पैदावार का निशाना 5 फ़ीसद

नई दिल्ली, 28 फरवरी: बजट से पहले मआशी (आर्थिक)सर्वे में आज आइन्दा मालियाती साल में मुल्क की पैदावार को उम्मीद अफ़्ज़ा-ए-बताया गया है और तवक़्क़ो है कि ये पैदावार 6.1 ता 6.7 फ़ीसद के निशाने पर होगी। सर्वे में सब्सीडीज़ में कटौती लाने की पुरज़ोर हिमायत की गई है। अंदरूने मुल्क मजमूई पैदावार का तख़मीना अगर चे कि जारिये मालियाती साल के लिए 5 फ़ीसद लगाया गया है, आज पार्लियामेंट में वज़ीर फियानंस चिदम़्बरम की जानिब से पेश करदा मआशी सर्वे में मजमूई तौर पर मआशी तरक़्क़ी की तवक़्क़ो साल 2013_14 के लिए 6.1 ता 6.7 फ़ीसद बताई गई है।

इस के साथ साथ सब्सीडीज़ पर आने वाले मसारिफ़ पर क़ाबू पाना भी अहम है। अंदरून-ए-मुल्क पेट्रोलियम एशिया की कीमतें ख़ासकर डीज़ल और पकवान ग़ियास की कीमतों में उन की मौजूदा आलमी मार्किट में पाई जाने वाली कीमतों से हम आहंग करना ज़रूरी है। मआशी सर्वे में मुल्क की मईशत को अबतर बताया गया है। जारिया साल में मालियाती निशाने को पाने में नाकामी का ख़तरनाक रुजहान पाया गया,और ये मईशत मुक़र्ररा निशाना 7.6 फ़ीसद के बरख़िलाफ़ सिर्फ़ 5 फ़ीसद पर आकर रुकी है।

मईशत को बेहतर बनाने के लिए टेक्स की बुनियादों में वुसअत देने और सब्सीडीज़ की कटौती की पुरज़ोर सिफ़ारिश की गई। मुतमव्विल अफ़राद को टेक्स में इज़ाफे की तजावीज़ पर कयास आराईयों के पसे मंज़र में सर्वे ने मज़ीद टेक्स में इज़ाफे के ख़िलाफ़ ख़बरदार किया है। जारिया मालियाती साल में पैदावार की शरह एक दहिय क़दीम 6.2 फ़ीसद से घट 5 फ़ीसद होगई है।

इसी सर्वे में गज़िश्ता साल 2012_13 के लिए मआशी शरह तरक़्क़ी 7.6 फ़ीसद का निशाना मुक़र्रर किया गया था। चीफ मआशी मुशीर रघूराम जी राजन की ज़ेरे क़ियादत किए गए इस सर्वे में बताया गया कि उस वक़्त मुल्क की मईशत मुश्किल हालात से गुज़र रही है। हिन्दुस्तान को बुरे वक़्तों से पहले ही कुछ एहतियाती इक़दामात करने होंगे।

अच्छी पालिसीयां बनाकर उन्हें रूबा अमल लाना चाहीए। मईशत को दरपेश चैलेंज्स से निमटने के लिए सरमाया कारी के ज़रीये होने वाले क़ौमी मसारिफ़ पर क़ाबू पाया जाये। सरमाया कारी की राह में हाइल रुकावटों को दूर किया जाये, रोज़गार पैदा किया जाये और फंड्स पर आने वाली लागत को कम करने की कोशिशें की जाएं। सब्सीडी बिल पेश करने के मसले पर इस मआशी रिपोर्ट में बताया गया कि सब से ख़तरनाक बात ये है कि मालियाती निशाने पूरे नहीं हुए हैं।

हुकूमत ने 2012-13 के लिए अंदरून-ए-मुल्क मजमूई पैदवार का निशाना 5.1 फ़ीसद मुक़र्रर करते हुए मालियाती ख़सारे को कम करने का अह्द किया था, लेकिन बादअज़ां वज़ीर फियानंस‌ चिदम़्बरम ने मसारिफ़ में इज़ाफ़ा और मालिया की वसूली में कमी के मद्दे नज़र उस शरह निशाने को 5.3 फ़ीसद कर दिया।

टेक्स शरह में इज़ाफे के ख़िलाफ़ हुकूमत को इंतिबाह देते हुए सर्वे में बताया गया कि मालिया को मुस्तहकम बनाने की ग़रज़ से हुकूमत को टेक्स की बुनियादों को वुसअत देने की कोशिश करना चाहीए,और सब्सीडीज़ में कटौती लाई जाये। ख़ासकर पेट्रोलियम एशिया पर सब्सीडी कम की जाये और मसारिफ़ घटाए जाएं। सर्वे के मुताबिक़ गुज़िश्ता एक साल के दौरान मजमूई तौर पर तक़रीबन 7 लाख अफ़राद को रोज़गार फ़राहम हुआ।