मुल्क की मईशत ( जिंदगी) मुश्किल दौर से गुज़र रही है , हुकूमत के एहतियाती इक़्दामात

मुल़्क की मआशी सूरत-ए-हाल ( आर्थिक़ स्थिती) की मुश्किलात ( कठिनाइनाइयों) का हवाला देते हुए वज़ीर फयनेंस परनब मुकर्जी ने आज कहा कि हुकूमत इन मसाएल ( सम्स्याओं) से निमटने के लिए ताज़ा एहतियाती और मज़बूत इक़दामात करेगी और मईशत को बहाल करेगी ।

उन्होंने ये भी वाज़िह ( सपष्ट)कर दिया कि इससे किसी बोहरान के पैदा होने की बात नहीं है । फयनेंस बिल 2012 पर राज्य सभा में मुबाहिस का इख्तेताम (समाप्ती/अंत) करते हुए वज़ीर फायनेंस ने कहा कि हिंदूस्तान की पैदावारी सलाहियत हनूज़ मुस्तहकम है ।

अंदरून-ए-मुल्क मजमूई पैदावार में एतेदाल पसंदी के बावजूद ये तरक़्क़ी हनूज़ मज़बूत है क्योंकि जी डी पी में 2011-12 मैं साबिक़ दो बरसों के 8.4 फीसद ( प्रतिशत) के बरअक्स 6.9 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है जो मायूस कुन ( निराश करने वली बात) बात है । परनब मुकर्जी ने कहा कि बैन अल-अक़वामी ( अंतर्राष्ट्रीय) सूरत-ए-हाल मुख़्तलिफ़ (ज़्यादा) और मुश्किल तरीन है ।

एक मुल्क से दूसरे मुल्क में मआशी बोहरान देखा जा रहा है । में अपने ज़हन में ये बात महफ़ूज़ रखूंगा कि इस वक़्त सारी दुनिया एक मुश्किल मरहले से गुज़र रही है । मैं ऐसी दुनिया में नहीं रह सकता जहां हक़ीक़त का कोई गुमान ना हो । उन्होंने बादअज़ां एवान( संसद) में इस बिल को वापस कर दिया जिस के साथ ही पार्लीयामेंट की जानिब से मनज़ोरा 2012-13 के बजट अमल का तीसरा मरहला भी मुकम्मल हो गया।

यूरो ज़ोन में पैदा होने वाले बोहरान का हवाला देते हुए और इस के हिंदूस्तान पर पड़ने वाले असरात पर मुकर्जी ने कहा कि हुकूमत इस मालीयाती मसला ( समस्या) से निमटने केलिए बाअज़ ( कुछ) ग़ैर मक़बूल इक़दामात करेगी । में बाअज़ एहतियात पसंदी के क़दम उठाने जा रहा हूँ ।

उस को अवाम पसंद करें यह ना करें हम सूरत-ए-हाल का सामना करने के लिए एक इशारतन (इशारे में) ये क़दम उठाएंगे क्योंकि हम किसी बोहरान का वावेला नहीं मचाएंगे । परनब मुकर्जी ने ताहम ( फिर भी) मआशी इक़्दामात की तफ्सीलात नहीं बताएं । इन का ये ब्यान एक ऐसे वक़्त सामने आया जब मुंबई स्टाक एक्सचेंज में शेयर मार्केट नफ़सियाती निशान 16000 इशारीया से नीचे गिर गया।

इस की वजह यूरो ज़ोन ममालिक और दीगर मुतमव्विल ममालिक में पैदा होने वाले मआशी (जीविका संबंधी) असरात हैं। वज़ीर फायनेंस परनब मुकर्जी ने यूरो ज़ोन बोहरान से अरकान को वाक़िफ़ करवाते हुए कहा कि वो ये कहने में कोई पस-ओ-पेश नहीं करेंगे कि हम ने अपने मक़सद को पा लेने के लिए कई काम अंजाम दीए हैं।

इस दौरान अपोज़ीशन पार्टियों ने रुपये की गिरती क़दर पर तशवीश का इज़हार किया क्योंकि ये सब से नीचे गिर गया है । लोक सभा में अपोज़ीशन ने हुकूमत से सवाल किया कि आख़िर इस ने सूरत-ए-हाल से निमटने के लिए क्या क़दम उठाए हैं । कहीं ऐसा ना हो कि मुल्क में 1991 के हालात का इआदा (हो जाए जब हिंदूस्तान को अदायगीयों के मुआमले में मसाइल ( समस्याएं) का सामना करना पड़ा था और इस ने सोने को भी रहन ( गिर्वी) रख दिया था ।