गुज़िशता माह मुनाक़िद किए गए असेम्बली इंतेख़ाबात के नताइज के बाद महाराष्ट्र में मुस्लिम एमएल अज़ की तादाद ग्यारह से घट कर नौ होगई। जब कि गुज़िशता असेम्बली में तीन मुस्लिम वुज़रा भी थे और अब सूरत-ए-हाल ये है कि नव मुस्लिम लेजिस्लेचर तो हैं लेकिन मुस्लिम वज़ीर कोई नहीं।
बी जे पी ने महाराष्ट्र में 122 नशिस्तों पर क़बज़ा किया है लेकिन हैरत अंगेज़ बात ये है कि पार्टी ने सिर्फ़ एक मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया था और बदक़िस्मती से वो भी कामयाबी हासिल ना करसका। दूसरी तरफ़ अगर हरियाणा का जायज़ा लें तो वहां अब तीन मुस्लिम एमएलएज़ हैं और कोई वज़ीर नहीं है।
बी जे पी जिस ने 47 नशिस्तों पर क़बज़ा करते हुए हुकूमत तशकील दी थी , ने दो मुसलमानों को टिकट दिए थे लेकिन यहां भी महाराष्ट्र की तारीख दुहराई गई और दोनों मुसलमान इंतेख़ाबात हार गए। छत्तीसगढ़ और गोवा में कोई मुस्लिम एमएलए नहीं है जब कि राजस्थान , पंजाब , मध्य प्रदेश और गुजरात में फी कस एक मुस्लिम एमएल ए है।
अब आंध्र प्रदेश का जायज़ा लिया जाये जहां की सरहदें तब्दील होगई हैं । वहां मुसलमान एमएलएज़ की तादाद गुज़िशता असेम्बली के मुक़ाबले निस्फ़ होगई है और ये उन माबक़ी आठ रियासतों में शामिल है जहां बी जे पी ने अपने बलबूते प्रिया सियासी इत्तेहाद के ज़रिए हुकूमत तशकील दी है।
यहां इस बात का तज़किरा दिलचस्प होगा कि 13 इसी बड़ी रियासतें जहां बी जे पी इक़्तेदार पर नहीं है , वहां वुज़रा की तादाद 52 है और ये तादाद इन रियासतों के जुमला मुस्लिम वुज़रा के तनासुब में 16% है। जम्मू-कश्मीर में मुसलमान वुज़रा की अक्सरियत है जहां तीन चौथाई तादाद मुस्लिम वुज़रा की है।
इस के बाद जिन रियासतों का नंबर आता है इन में केरला , आसाम और उत्तरप्रदेश शामिल हैं। गैर बी जे पी हुकूमत वाली रियासतों में मुस्लिम एमएलएज़ की जुमला तादाद 300 है जो अपनी असेम्बलीयों का तनासुब 13 फ़ीसद तक पहुंचाए हैं । यही नहीं बल्कि इन रियासतों में मुसलमानों की आबादी का तनासुब भी क़बिल लिहाज़ है जो 2001 की मर्दुमशुमारी के मुताबिक़ 17 फ़ीसद है।