मुल्क के लिए जान देने वाला पहला ‘अफ़सर’ एक मुसलमान था

अस्सलाम ओ अलेकुम, सिआसत हिंदी में हम आपसे लगभग रोज़ किसी ऐसे इंसान के बारे में बताते हैं जो इतिहास के पन्नों में कहीं खो गया है, इसी कड़ी में एक और नाम जोड़ते हुए हम आज एक ऐसे शख्स़ के बारे में आपको बताएँगे जिसने आज़ादी के बाद हुई पहली हिन्दुस्तान-पाकिस्तान जंग में हिन्दुस्तान के लिए लड़ते हुए जान दे दी. 1947-48 में हुई भारत-पाकिस्तान की जंग पहली जंग है जिसे भारत ने आज़ादी के बाद लड़ा. इस जंग में शहीद होने वाले ब्रिगेडियर उस्मान, उस जंग में शहीद होने वाले सबसे बड़े अफ़सर थे.

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ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान का जन्म 15 जुलाई, 1912 को आज़मगढ़ में हुआ, आज़ादी के बाद मिलिट्री के अफ़सरों को ये चुनने की आज़ादी दी गयी कि वो हिन्दुस्तान में रहें या पाकिस्तान चले जाएँ. ब्रिगेडियर उस्मान ने हिन्दुस्तान ही में रहना पसंद किया और आज़ादी के फ़ौरन बाद हुई जंग में पाकिस्तान से लोहा लेते हुए वो मुल्क पे क़ुर्बान हो गए.

पाकिस्तानी फौजियों से लड़ते हुए उनका इन्तेक़ाल 3 जुलाई, 1948 को नौशेरा में हुआ, उन्हें उनकी शहादत की याद में नौशेरा का शेर भी कहा जाता है. बाद में उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया.

सादगी की ज़िन्दगी पसंद करने वाले उस्मान शराब बिलकुल नहीं पीते थे.

उनके बारे में तब के प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरु ने कहा था कि मुल्क के सेकुलरिज्म की यही पहचान है.