मुल्क बदतरीन कहतसाली का शिकार, पीने के पानी का मसला संगीन

हैदराबाद 15 अप्रैल: मुल्क ख़तरनाक कहतसाली के दौर से गुज़र रहा है और आइन्दा चंद माह के दौरान मुल्क की कई रियासतें ख़ुशकसाली की इंतेहा पर पहुंच जाएँगी और अवाम को पीने के लिए पानी का भी संगीन मसला पेश आने का ख़दशा है।

हिन्दुस्तान भर में जारी गर्मी की सूरत-ए-हाल का असर मुल्क के ज़ख़ाइर आब पर भी मुरत्तिब हो रहा है और 91 बड़े और अहम ज़ख़ाइर आब जोकि ना सिर्फ 130 करोड़ अवाम की ज़रूरीयात को पूरा करते हैं और उनके ज़रीये ज़रई ज़रूरीयात की भी तकमील होती है। ये 91 अहम ज़ख़ाइर आब तेज़ी से ख़ुशक हो रहे हैं।

इन ज़ख़ाइर आब में फ़िलहाल सिर्फ मजमूई एतबार से 24% पानी बाक़ी रह गया है। सेंट्रल वाटर कमीशन (सी डब्लयू सी) की तरफ से जारी करदा बुलेटिन में जिस बात का इन्किशाफ़ किया गया वो इंतेहाई तशवीशनाक है। क़ौमी आबी कमीशन की तरफ से जारी करदा बुलेटिन के मुताबिक़ 91 बड़े ज़ख़ाइर की सतह-ए-आब में जो गिरावट आई है, इस का जायज़ा लेने पर ये बात सामने आई है कि 37.92 बिलीयन क्यूबिक मीटर ख़ुशकी आचुकी है जोकि मजमूई एतबार से ज़ख़ाइर आब की जुमला गुंजाइश का सिर्फ 24% होता है।

रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 2014 में नाकाफ़ी बारिश और मानसून में हुई ताख़ीर के सबब ये सूरत-ए-हाल पैदा हुई और 2015में भी मानसून में बेहतरी ना आने की वजह से सूरत-ए-हाल मज़ीद अबतर हो चुकी है। आम तौर पर इन ज़ख़ाइर आब में जून ता सितम्बर के दौरान गिरावट रुकावट की जाती है चूँकि रबी के मौसम में इन 91 ज़ख़ाइर के पानी का आबपाशी मक़ासिद के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

महकमा-ए-मौसीमीयत जारीया साल मौसिम-ए-बाराँ के मुताल्लिक़ बेहतर गुमान किए हुए है और इस बात की तवक़्क़ो की जा रही है कि आइन्दा मानसून में जून ता सितम्बर के दौरान बेहतर बारिश होगी जिसके अच्छे नताइज बरामद होंगे और उन ज़ख़ाइर आब में वाफ़र मिक़दार में पानी जमा होने का इमकान है। फ़िलहाल मौसिम-ए-गर्मा के दौरान मुल्क की जो रियासतें कहतसाली-ओ-पानी की शदीद क़िल्लत जैसे मसाइल का सामना कर रही हैं उनमें हिमाचल प्रदेश, पंजाब, मग़रिबी बंगाल, राजिस्थान , झारखंड, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्रा, उत्तरप्रदेश, उतराखनड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, तामिलनाडु, कर्नाटक और केराला शामिल हैं।